समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
Rishi Prasad Hindi|October 2024
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला

१० नवम्बर को पूज्य बापूजी के सद्गुरु ब्रह्मलीन भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस है। सम्पूर्ण जीवन लोकहित हेतु समर्पित करनेवाले तथा जन-जन तक ब्रह्मज्ञान का अमृत-प्रसाद पहुँचानेवाले इन महान संत की स्मृति में इस दिन जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं। भक्तगण महाराजश्री के मधुर जीवन-प्रसंगों व दैवी सद्गुणों का संस्मरण कर अपना हृदय पावन करते हैं। अहमदाबाद आश्रम में हर वर्ष विशेष कार्यक्रम किया जाता है तथा कीर्तन यात्रा भी निकाली जाती है।

साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के कृपापात्र सत्शिष्य संत श्री आशारामजी बापू की अमृतवाणी से उनकी कुछ मधुर यादें :

... और लड़का जिंदा हो गया

पंचमहाभूतों में परमात्मा व्यापे हुए हैं । अग्निदेव, जलदेव, वायुदेव, आकाशदेव और पृथ्वी देवी – इनमें से परमात्मा कभी कोई भी लीला करके उभर सकते हैं। कुत्ते के द्वारा, हंस के द्वारा भी भगवान मानुषी भाषा बुलवा लेते हैं। अरे, किसी संत-महापुरुष के संकल्प के द्वारा मुर्दे को भी जिंदा करवा देते हैं !

मेरे गुरुदेव जिस इलाके में रहते थे वहाँ किसी माई का बेटा मर गया। माई ने देखा कि एकांत में समर्थ योगी रहते हैं तो वहाँ की पगडंडी पर अपने मृत बेटे को रख दिया। गुरुजी घूमने जा रहे थे। देखा कि बच्चा पड़ा है, बोले : "बेटा ! कौन हो? कैसे हो?”

देखा कि यह तो ऐसे ही सोया है। जरा मार दी लात : " अरे उठ !”

और वह बच्चा रोने लगा। माई छुप के देख रही थी, उसने जाकर पैर पकड़े।

गुरुदेव बोले : "माई ! मेरे को क्या पता था कि तू ऐसा करेगी, करामात का खर्च करायेगी तू अच्छा जा, चुप रहना, किसीको बोलना नहीं।"

Denne historien er fra October 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.

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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

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