गोपाष्टमी सनातन संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से गायों और ग्वालों के सम्मान में कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है और उसे अत्यंत पवित्र माना गया है। यह गायों का आदर-पूजन कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह गायों के संरक्षण-संवर्धन की प्रेरणा देता है।
ऐसे करें गायों का पूजन
नारद पुराण में आता है कि 'कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में गोपाष्टमी का व्रत बताया गया है। उसमें गौओं की पूजा करना, गोग्रास देना, गौओं की परिक्रमा करना, गौओं के पीछे-पीछे चलना और गोदान करना आदि कर्तव्य हैं। जो समस्त सम्पत्तियों की इच्छा रखता हो उसे उपरोक्त कार्य अवश्य करने चाहिए।'
Denne historien er fra October 2024-utgaven av Rishi Prasad Hindi.
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गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।
चल दिये तो चल दिये...
आत्मा के बाहर मत भटको। बाहर तुम्हारा कोई नहीं था, कोई नहीं है, कोई नहीं रहेगा। अपने केन्द्र में स्थित रहो, अपने आपे में आओ। पराये गाँव में कब तक भटकोगे? 'जरा यह कर लूँ, जरा वह कर लूँ...' आग लगा पेट्रोल डाल के। 'मैं और मेरे' पन को आग लगा दे मन से। ज्ञान पाना है कि बस संसार का टट्टू चलाते रहना है? ऐ जगत ! बस हो गया, तू कितने जन्मों से हमको भटकाता आया है !
भारतीय संस्कृति की महान देन : आयुर्वेद
२९ अक्टूबर : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर विशेष
पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
साधक : बापूजी ! जब सत्संग सुन के शांत होता हूँ तो ध्यान श्वासों पर केन्द्रित हो जाता है और श्वास बंद हो गये ऐसा लगता है, गहरी शांति आती है, आगे-पीछे की बातों का चिंतन नहीं रहता।
अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भगवान शिवजी कार्तिकेयजी से कहते हैं : \"आँवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका जल पीने से धर्म-संचय होता है और उसके द्वारा स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कार्तिकेय ! जिस घर में आँवला सदा विद्यमान रहता है वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं जाते। एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाय तो उसके सामने गंगा, गया, काशी, पुष्कर विशेष महत्त्व नहीं रखते। जो दोनों पक्षों की एकादशी को आँवले से स्नान करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।\"
पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :