क्या जरूरी - प्यार या पैसा
Grihshobha - Hindi|April First 2023
कहते हैं कि प्यार के आगे दुनियाभर की दौलत फीकी पड़ जाती है. मगर क्या यह सच है...
क्या जरूरी - प्यार या पैसा

प्रेम सिर्फ दिल की बात है, यह सिर्फ गजलों में होता है. युगों से औरतें उन मर्दों का चाहती रही हैं जो उन का खयाल रखें और उन्हें ही शरीर देती रही हैं जो उन पर खुल कर खर्च करें. इस संबंध को पतिपत्नी का संबंध कहें या नहीं, यह बेकार की बात है. अगर किसी से प्रेम है तो उस पर खर्च करना गलत नहीं, नौर्मल है और जो किसी पर खर्च कर रहा है उसे मन और तन दोनों से प्रेम, दोस्ती और साथ निभाना ही चाहिए.

अब जब हरेक के भाईबहन कम हो गए हैं, मातापिता अपने में बिजी रहते हैं कोई अपना होता है तो प्रेमी या प्रेमिका चाहे वह संबंध 6 महीने चले, 6 साल चले या शादी में बदल जाए पर जब तक शादी न हो जाए तब तक एकदूसरे का खयाल रखना जरूरी है. इस में प्रेमिका पर किया खर्च सब से अहम बात है.

रोहिणी ने काफी सारा कौस्मैटिक का सामान खरीदा और दुकानदार से बिल पूछा. ₹1,845 बनते थे. रोहिणी ने मोहित को देखा पर मोहित तो दुकान से बाहर निकल कर खड़ा हो गया था. रोहिणी ने तब भी अपना पर्स नहीं खोला. हालांकि मोहित के दुकान के बाहर जाने पर उस का मूड खराब हो गया था, फिर भी उस ने मोहित को आवाज दी और बिल बताया.

"अच्छा... मुझे देने हैं? देता हूं..." मोहित ने रोहिणी को जतलाया ही था कि सामान तुम्हारा, पर पैसे मैं दे रहा हूं.. बिल चुका कर दोनों दुकान से निकले तो दोनों का मूड खराब हो चुका था.

इस्तेमाल तो नहीं हो रहे

रोहिणी को लगा कि मोहित ने मुझे सुनाया क्यों? जब मैं सामान ले रही हूं और मोहित साथ है, तो जाहिर है कि पैसे उसे देने हैं. मोहित अपने ही खयालों में गुम था कि कौस्मैटिक तो रोहिणी के व्यक्तिगत इस्तेमाल की चीजें हैं. रोहिणी को स्वयं पैसे देने चाहिए थे. मैं कोई पति थोड़े ही हूं, प्रेमी हूं रोहिणी का, इतने बड़ेबड़े खर्चे रोहिणी खुद करे.

सामान खरीदने के बाद दोनों का लंच के लिए रैस्टोरैंट जाने का कार्यक्रम था, लेकिन जरूरी काम का बहाना बना कर मोहित ने रोहिणी को ऊपर बुला कर अकेले भेज दिया.

Denne historien er fra April First 2023-utgaven av Grihshobha - Hindi.

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