आदतन सुबह की चाय पीते हुए मैं ने फेसबुक के अपडेट्स देखने के लिए फोन औन किया तो सब से पहले सुमि की पोस्ट दिखी. उस ने सिर्फ इतना लिखा था कि आज मेरा जन्मदिन है. मुझे बड़ा अजीब लगा कि यह बात ऐसे लिख कर खुद कौन बताता है पर मन में कई सवाल उठे जैसे क्या यह किसी की लाइफ में बढ़ता अकेलापन नहीं है कि वह अब आभासी दुनिया के लोगों से अपना हर सुखदुख बांटने के लिए विवश है? इंसान के आसपास उस के मन की बातें सुनने वाले लोग कम होते जा रहे हैं. जो भी हैं आसपास, वे सब अपनेअपने फोन में दूर की दुनिया के लोगों से जुड़े रहने में खुशी तलाश रहे हैं, अपने सामने बैठे व्यक्ति को इग्नोर कर, उस की बातों को अनसुना कर.
सुमि से मिले मुझे भी एक अरसा हो चुका था. कोरोना के समय ने लोगों को जो एकदूसरे से दूर किया, लोगों को अकेले रहने की आदत ही हो गई है. इस समय लोगों ने अपना खाली समय सोशल मीडिया पर बिताया, पर अब लाइफ नौर्मल होने पर भी हम वहीं सोशल मीडिया पर ही अटके रह गए. सुमि से मिलना आसान नहीं लगता. वह मुंबई के एक कोने में रहती है, मैं दूसरे कोने में. पर आज मैं ने उसे सरप्राइज देने का मन बना लिया था. मैं ने उसे तुरंत फोन मिलाया, बर्थडे सौंग गाते हुए विश किया. वह हंस पड़ी.
मैं ने कहा, “अगर आज फैमिली के साथ बिजी है तो कोई बात नहीं पर अगर फ्री है तो चल बीच में किसी अच्छी जगह लंच करते हैं."
सुमि ने कहा, "फैमिली के साथ तो डिनर होगा, दिन में फ्री ही हूं, पलैडियम मिलते हैं."
पलैडियम मौल उस के और मेरे घर के रास्ते में पड़ता है. हम पहले भी वहीं मिलते रहे हैं. दोनों को आनाजाना फिर लंबा नहीं पड़ता. आज मुझे बारबार सुमि का ध्यान आ रहा था. ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब वह 3-4 पोस्ट्स न डालती हो. कभी कुछ खाया तो खाने की पोस्ट, कभी अपनी, कभी कोई और मैं जितने लोगों को जानती हूं, सुमि सब से ज्यादा सोशल मीडिया पर ऐक्टिव है. एक बेटा मलय है जो जौब करता है, उस के पति संजय से कई बार मिल चुकी हूं. जब भी मिले, सज्जन, सभ्य लगे.
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