कोख मेरी हक भी मेरा
Grihshobha - Hindi|April Second 2024
किसी महिला की कोख में पल रहे बच्चे पर फैसला खुद महिला कर कोई और करे यह आधी आबादी के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है...
गरिमा पंकज
कोख मेरी हक भी मेरा

हुत सी लड़कियां जो जल्दी मां बनना नहीं और अबौर्शन कराना चाहती हैं मगर घर वालों के दबाव में आ कर ऐसा नहीं कर पातीं. इसी तरह कोई लड़की जो बच्चे को जन्म देना चाहती है उसे ससुराल वालों के कहने पर अबौर्शन कराना पड़ता है क्योंकि उस के गर्भ में लड़की है और घर वाले लड़की नहीं लड़का चाहते हैं. ऐसी बातें अकसर सुनने को मिलती हैं. जो दुलहन 2-3 साल प्रेगनेंट नहीं होना चाहती उसे जबरदस्ती उसकी ड्यूटी याद दिलाते हुए ऐसा करने को बाध्य किया जाता है.

रिप्रोडक्टिव कोअर्शन स्त्री के हक पर शिकंजा

गर्भधारण करना है, नहीं करना है, अबौर्शन कराना है, नहीं कराना है, कब मां बनना है जैसे फैसलों में औरतों की मरजी की अहमियत नहीं होती है. ये फैसले या तो पति करता है या फिर ससुराल के अन्य सदस्य, जबकि कोख लड़की की है, बच्चे को उसे अपने पेट में बड़ा करना है, बच्चा पैदा करने और पालने की तकलीफ उसे सहनी है मगर इन सब से जुड़े फैसले कोई और करता है. इस तरह गर्भधारण से जुड़े फैसलों को प्रभावित करना और इस के लिए जबरदस्ती करना प्रोडक्टिव को अर्शन यानी प्रजनन संबंधी हिंसा की श्रेणी में आता है.

वहीं कई मामलों में इस का उलटा भी होता है. महिला से पूछे बगैर या धोखे से उसे गर्भनिरोधक गोलियां खिला कर या जबरन अबोर्शन कराया जाता है. अगर परिवार नियोजन करना भी है तो इस का पूरा भार हमारे देश में महिलाओं पर ही थोप दिया जाता है. पुरुषों में आज भी नसबंदी को ले कर यह मिथ्य बेहद प्रचलित है कि नसबंदी से वे नपुंसकता का शिकार हो सकते हैं.

चौंकाने वाले आंकड़े

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पौपुलेशन फंड ने यह पता लगाने की कोशिश की कि महिलाओं के खुद के शरीर के बारे में फैसले लेने की क्षमता कितनी है. रिपोर्ट के मुताबिक 57 विकासशील देशों में रहने वाली करीब 50% महिलाओं के पास अपने शरीर को ले कर लिए जाने वाले फैसले जैसे गर्भनिरोधक, स्वास्थ्य सुविधा आदि लेने का कोई अधिकार नहीं होता. केवल 55% महिलाएं ही अपने स्वास्थ्य की देखभाल, गर्भनिरोधक और सैक्स के दौरान हां या न कहने के लिए सशक्त हैं.

Denne historien er fra April Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

Denne historien er fra April Second 2024-utgaven av Grihshobha - Hindi.

Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.

FLERE HISTORIER FRA GRIHSHOBHA - HINDISe alt
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
Grihshobha - Hindi

स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी

इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
Grihshobha - Hindi

लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर

फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
Grihshobha - Hindi

समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....

time-read
2 mins  |
November Second 2024
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
Grihshobha - Hindi

पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं

मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...

time-read
3 mins  |
November Second 2024
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
Grihshobha - Hindi

पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस

जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....

time-read
5 mins  |
November Second 2024
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
Grihshobha - Hindi

औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी

औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....

time-read
3 mins  |
November Second 2024
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
Grihshobha - Hindi

क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर

क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....

time-read
4 mins  |
November Second 2024
जब मन हो मंचिंग का
Grihshobha - Hindi

जब मन हो मंचिंग का

फ़ूड रेसिपीज

time-read
4 mins  |
November Second 2024
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
Grihshobha - Hindi

सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी

अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....

time-read
3 mins  |
November Second 2024
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
Grihshobha - Hindi

डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता

पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....

time-read
2 mins  |
November Second 2024