एक गुलदस्ता 2025 का

नेक्ससः पाषाण युग से एआइ तक सूचना-तंत्रों का संक्षिप्त इतिहास
लेखकः युवाल नोआ हरारी
प्रकाशकः मंजुल पब्लिशिंग हाउस
सेपियंसःयुवाल बताते हैं कि कहानियों ने हमें एक साथ ला दिया. पुस्तकों ने हमारे विचारों को और हमारी पौराणिक कथाओं को प्रसारित किया. इंटरनेट ने अंतहीन ज्ञान का आश्वासन दिया. लेकिन अब एल्गोरिद्म ने हमारे रहस्यों को जान लिया है और हमें एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर दिया. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ हमारा भविष्य कैसा होने वाला है? नेक्सस इस बात का रोमांचक वृत्तांत है कि हम इस मुकाम तक कैसे पहुंचे और अब इस स्थिति में जीवित बने रहने और फलने-फूलने के लिए हमें तत्काल कौन-से विकल्प अपनाने चाहिए?
> असहमति की आवाजें (इतिहास/राजनीति/विमर्श)
लेखकः रोमिला थापर
मूल किताबः वॉइसेज ऑफ डिसेंटः ऐन एसे
अनुवादकः अशोक कुमार
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
असहमति भारतीय जनजीवन का हमेशा से हिस्सा रही है. थापर की यह किताब बतलाती है कि भारतीय उपमहाद्वीप में असहमति का लंबा इतिहास रहा है, भले ही सदियों में इसके रूप विकसित या परिवर्तित हो गए हैं. लेखक असहमति की अभिव्यक्ति और उसके अहिंसक रूपों पर विचार करते हुए इसे भारतीय ऐतिहासिक अनुभव के अंग के रूप में समय के विभिन्न बिंदुओं और संदर्भों से जोड़ती हैं. वे प्राचीन वैदिक काल से शुरू करती हैं, जैन, बौद्ध, आजीविक आदि समूहों के उद्भव और इससे आगे, मध्यकाल के भक्ति संतों और अन्य के विचारों को परखती हैं. इस रास्ते वे हमें असहमति के उस प्रमुख बिंदु, महात्मा गांधी के सत्याग्रह, तक ले जाती हैं जिसने आजाद और लोकतांत्रिक भारत की स्थापना में मदद की. वे इस बात पर बल देती हैं कि किस तरह धर्म ने हमेशा सामाजिक परिवर्तन को प्रतिबिंबित किया है. वर्तमान में धर्म के राजनीतिकरण के साथ वे अपनी बात पूरी करती हैं. भारत की शीर्षस्थ पब्लिक इंटेलेक्चुअल की यह किताब उन सबके लिए एक आवश्यक पाठ है, जो न सिर्फ भारत के अतीत को बल्कि भारतीय समाज और राष्ट्र की दिशा को भी उसके सही परिप्रेक्ष्य में जानना-समझना चाहते हैं.
Dit verhaal komt uit de January 15, 2025 editie van India Today Hindi.
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जीवन बना संगीत
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लूट के माल की वापसी
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आखिर कितने सुरक्षित हैं हम
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मिट रहे हैं दायरे पर धीरे-धीरे
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नियम और नियंत्रण पर बढ़ता बरखेड़ा
महाबोधि मंदिर प्रबंधन कमेटी से हिंदू सदस्यों को हटाने और बोधगया टेंपल ऐक्ट को वापस लेने की मांग को लेकर बौद्ध भिक्षु बोधगया में 12 फरवरी से क्रमिक अनशन पर हैं. उनके समर्थन में देश और दुनिया के कई शहरों में आंबेडकरवादी बौद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं

फिर उभरी दरारें
हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा 17 मार्च को नागपुर के पुराने महाल मोहल्ले में इकट्ठा हुआ.

शराब से परहेज की पुकार
बर्फ से ढके गुलमर्ग का नजारा है. मौका है द एली इंडिया फैशन शो का, जिसमें दिल्ली के डिजाइनर शिवन और नरेश के परिधान—टोपियां, पैंट सूट, स्कीवियर और हां बिकिनी भी—प्रस्तुत किए गए.