
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाले सामाजिक-आर्थिक व्यवहार के तमाम महत्वपूर्ण पहलुओं के प्रति भारतीयों की सोच का पता लगाने के लिए इंडिया टुडे पत्रिका की तरफ से कराए गए नए सर्वेक्षण में नतीजों को ग्रामीण शहरी और लैंगिक आधार पर सारणीबद्ध किया गया है. सर्वेक्षण का एक अनूठा पहलू यह है कि इसके आधार पर एक सकल घरेलू व्यवहार सूचकांक बनाया गया जो विभिन्न मापदंडों पर भारतीय राज्यों की रैंकिंग को दर्शाता है.
सवालों के एक सेट के जरिए यह समझने का लक्ष्य रखा गया कि विविधता और भेदभाव के लिहाज से ग्रामीण/शहरी लोगों, पुरुषों और महिलाओं, और विभिन्न राज्यों की सोच क्या कहती है. सर्वे में पांच प्रश्न पूछे गए ताकि यह जाना जा सकें कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में और साथ ही आलोचनात्मक सोच और पसंद-नापसंद के मामले में कितने उदार/अनुदार हैं. सवाल कुछ इस तरह थेः 1. क्या किसी नियोक्ता को किसी निश्चित धर्म के व्यक्ति को नौकरी पर न रखने का निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए; 2. क्या लोगों को दूसरे धर्म का जीवनसाथी चुनने की आजादी होनी चाहिए; 3. क्या लोगों को दूसरी जाति का जीवनसाथी चुनने की आजादी होनी चाहिए; 4. क्या खान-पान की आदतों के आधार पर भेदभाव किया जाना चाहिए और 5. अलग-अलग धर्मों के पड़ोसियों के साथ रहने में सहज महसूस करते हैं या असहज?
Dit verhaal komt uit de April 02, 2025 editie van India Today Hindi.
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जीवन बना संगीत
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मिट रहे हैं दायरे पर धीरे-धीरे
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हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा 17 मार्च को नागपुर के पुराने महाल मोहल्ले में इकट्ठा हुआ.

शराब से परहेज की पुकार
बर्फ से ढके गुलमर्ग का नजारा है. मौका है द एली इंडिया फैशन शो का, जिसमें दिल्ली के डिजाइनर शिवन और नरेश के परिधान—टोपियां, पैंट सूट, स्कीवियर और हां बिकिनी भी—प्रस्तुत किए गए.