गरीबों के नायक की सुध

अमिताभ बच्चन को हर जगह देखने वाली पीढ़ी को यकीन अ करना वाकई मुश्किल होगा कि 1980 के दशक में एक सांवला, दुबला-पतला लड़का भी लोकप्रिय कलाकार था। वह सर्दियों में रविवार की एक शाम थी, जब दिल्ली लिहाफ में ऊंघ रही थी और फीरोजशाह रोड के ली-मेरीडियन होटल में उंगलियों पर गिनने लायक पत्रकार जमा थे। एक उत्पाद लॉन्च होना था और अतिथि के रूप में मिठुन दा आए थे। बहुत औपचारिक माहौल में मिठुन चक्रवर्ती से एक पत्रकार ने झिझक कर सवाल किया, "आपको गरीबों का अमिताभ बच्चन कहा जाता है, आपको बुरा नहीं लगता?" सवाल में जितनी झिझक थी, जवाब उतना ही शानदार, "गरीबों का हीरो होना बुरी बात है क्या?" गरीब के इसी हीरो को फिल्मों के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार दादा साहब फाल्के से सम्मानित किया जा रहा है।
Dit verhaal komt uit de October 28, 2024 editie van Outlook Hindi.
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बच्चों के पालन-पोषण का सवाल
धारावाहिक अडॉलेसेंस ने नई आर्थिकी और इंटरनेट तथा सोशल मीडिया से बालमन में पैदा होने वाली विकृति पर ध्यान खींचा

अंधेरे जीवन की विडंबना
रेलवे स्टेशन पर जीवन यापन करने वाले भिखारियों के जीवन पर आधारित इस उपन्यास का मुख्य पात्र एक अंधा व्यक्ति है। यहां अंधे बच्चे के अंधे होने की विडंबना का विवरण है, अंधेरे का रोशनी से संघर्ष है। अंधे बच्चे का यह पूछना है कि सूरज क्या होता है और अंत में यह पहचानने लगना कि कौन से पक्षी के उड़ने की आवाज कैसी होती है।

बदलती भूराजनीति में भारत
भारत को अमेरिका के साथ हो रहे नुकसान को कम करते हुए चीन से सौदेबाजी की राह अपनानी चाहिए

आखिर प्रत्यर्पण
सत्रह साल बाद मुंबई हमले के षडयंत्रकारियों में एक राणा को भारत लाया गया, क्या सुलझेगी सबसे बड़े आतंकी हमले की गुत्थी

शहरनामा - गोंडा
बड़े दिल का छोटा शहर

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खिलाड़ी नहीं, ब्रांड कहिए हुजूर!
खेल मैदान तक सीमित नहीं रहा, अब ब्रांडों की स्पॉन्सरशिप और सोशल मीडिया से भी आगे पैसा उगाने की फटाफट मशीन बन चुकी है

टर्म इंश्योरेंस का फंडा
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सुप्रीम कोर्ट के हालिया कुछ फैसलों और अंतरिम आदेशों पर उठे विवाद से संवैधानिक लोकतंत्र की पहली बार हदें टूटीं

गिरीश का स्वतंत्र आकाश
सर्वप्रथम बेंद्रे की कविता से चुने गए, संस्मरणों की इस अनुपम कृति में समाए सारगर्भित-विस्मयों की छाप ही पाठक को चमत्कृत करती है।