वो इतना चुपकेचुपके बीज खाता कि पेड़ को भी इसकी भनक नहीं लगती थी। हम सब खुश होतेइतने बड़े-बड़े जामुन और उनमें कोई बीज न हो। इससे बढ़िया और क्या हो सकता है।
This story is from the May 2021 edition of Chakmak.
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सफेद गुब्बारे
अचानक से गुब्बारे मेरे चारों ओर मँडराने लगे! दूध जैसे रंग के, नुकीले, मेरे शरीर से भी बड़े। एक गुब्बारा मेरे मुँह में घुस गया। एक-एक करके वो मेरे मुँह में घुसे जा रहे थे। मैं चिल्लाना चाहता था। पर गला गुब्बारों से ठसाठस भर गया। उनकी नोक कई पिनों जैसी चुभ रही थीं।
मध्याह्न कब होता है?
लोकल नून पता करने के तीन तरीके
मकड़ी का जाला
मकड़ी की बुनाई पर तितली को बड़ा फख था। “किसका होगा ऐसा घर! इतना महीन! पारदर्शी! उस पार पूरी दुनिया देखी जा सके। न ज़मीन, न आसमान। हवा के बीचोंबीच झूलता।”
प्रवासी पक्षियों के फ्लाइवे
एशियाई प्रवासी पक्षी फ्लाइवे
इन्स्टलेशन कला
कला के आयाम
नन्हा राजकुमार
भाग -8
'सुनो छोटी-सी गुड़िया की लम्बी कहानी'
लता जी के बचपन और संघर्ष की दास्तान
आज दलिए को क्या हो गया
हम सभी को मूंग दाल और सब्जियों से बना दलिया बहुत पसन्द है। इसलिए यह एक ठीकठाक ही विकल्प लग रहा था। पर आज कुछ अजब-सा हुआ हमारे यहाँ...
अलविदा कमला भसीन
ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो ज़िन्दगी में इतनी अधिक व्यक्तिगत गर्दिशें झेलने के बाद भी हर पल जश्न मनाते हैं और फिर भी समाज को इतना कुछ देकर जाते हैं। कमला इसकी एक जीती-जागती मिसाल थीं। वो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा थीं।
मेरी डायरी का एक पन्ना
कल एक बहुत अच्छा दिन था। मेरे घर के छोटे बगीचे में दो छोटे कबूतर के चूज़ों का जनम हुआ!