This story is from the November 2019 edition of Kadambini.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November 2019 edition of Kadambini.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
तनाव पर ऐसे पाएं जीत
तनाव, एक ऐसा शब्द, एक ऐसा अहसास जिससे हम सबका जीवन में कभी-न-कभी सामना जरूर होता है। कभी-कभी हो जाए, तो कुछ नहीं, लेकिन यह स्थायी नहीं होना चाहिए। साथ ही इसे इतना गहरा भी नहीं होना चाहिए कि हम पर हावी हो जाए। अकेलापन तनाव को बढ़ाता है और परस्पर संवाद इससे लड़ने की ताकत देता है
शिक्षा नीति और हिंदी के सामने चुनौतियां
नई शिक्षा नीति ने शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव की बड़ी उम्मीद जगाई है। अंग्रेजी मोह में नौनिहालों की मौलिकता नष्ट हो रही थी और वे रदंतू बनते जा रहे थे, पर नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा को शैक्षिक आधार में रखा है। इस महत्त्वाकांक्षी शिक्षा नीति को संकल्प के साथ लागू करना सबसे बड़ी बात होगी
..ताकि खुली सांस ले सके बचपन
इनसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पड़ाव बचपन होता है। वही बचपन आज खतरे में है। उसकी आजादी खतरे में है। इसे बचाना जरूरी है। हमें इसे भाषणों से बाहर निकालना होगा। हमें बच्चों को केंद्र में रखकर नीतियां और बजट बनाने होंगे। यह बेहद जरूरी है
आजादी के पड़ाव
73 साल! कम नहीं होते इतने साल। एक भरी-पूरी जिंदगी कही जा सकती है। अगर बात किसी इनसान की उम्र की हो तो! लेकिन बात जब किसी देश की हो, उसकी आजादी की हो तो...?
हम क्यों खफा-खफा से है।
इन तिहत्तर वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया है। बहुत कुछ पाना बाकी है, लेकिन इस पाने के बीच हमें बहुत सारी चीजों से मुक्ति पाना भी बाकी है। ये वे बाधाएं हैं, जो हमारी असली आजादी के बीच बाधक है।
हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं
आज वैश्विक स्तर पर दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। इस बदलते परिवेश में राजनीतिक-आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामरिक रूप से ताकतवर होना किसी भी देश को बहुत जरूरी है। हमारे सामने भी यह चुनौती है। एक तरफ पाकिस्तान, तो दूसरी तरफ चीन हमें लगातार चनौती दे रहे हैं। हमें न केवल इनसे निपटना है, बल्कि विश्व पटल पर खुद को मजबूती से पेश भी करना है। देखनेवाली बात यह है कि हम इसके लिए कितना तैयार हैं
और बदलेगी दुनिया
आजकल पूरी दुनिया अपने आपको थोड़ा- थोड़ा रोज बदल रही है। यह बदलना हर स्तर पर जारी है। चाहे वह व्यक्ति के रूप में हो या फिर समाज के स्तर पर। चाहे वह चलना-फिरना हो, आना-जाना हो, रहन- सहन, खान-पान हो या फिर तौर-तरीके या सलीके। सब कुछ बदल रहे हैं।
...कल फिर बदलेगी दुनिया
दुनिया बदलती है। कभी अपने आप से, कभी किसी कारण से। आज यह कोरोना वायरस और लॉकडाउन से पैदा हुए हालात से बदल रही है। कहां तक बदलेगी, कोई नहीं जानता। हां, इसके बदलने की शुरुआत हो चुकी है
ऑफिस आखिर कितना ऑफिस
हालात ने लोगों को घरों में कैद कर दिया। और बहुत लोगों के लिए घर ही ऑफिस हो गया। भले ही इसके पीछे मजबूरी थी। लेकिन यह मजबूरी कहीं जरूरत न बन जाए। एक बात तय है कि अब ऑफिस का पूरा अंदाज बदलेगा। ऑफिस का बड़ा हिस्सा अब घर हो सकता है।
नए तौर-तरीकों की सिनेमाई दुनिया
कोरोना से सबसे ज्यादा नुकसान थिएटर और सिनेमा को हुआ है। भीड़भाड़ के बिना इस माध्यम की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। बदले हालात में उसे भी बदलना है। शुरुआत हो चुकी है। अब नए तौर-तरीकों और तेवर वाला होगा सिनेमा