हंसिए और स्वस्थ रहिए
NIROG DARPAN|January - March 2020
जीवन के लिए हास्य नितांत आवश्यक है, पर आज जब संसार प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है, भौतिक सुखों की | उपलब्धि में मानव अपनी अमूल्य हंसी खो बैठा है। इस तेज़ दौड़ में हम कहीं अपनों से ही पीछे न रह जाएं, यह भय हमे हर-पल कचोटता रहता है। भाई-चारे, सहानुभूति, सहृदयता,मानवीय संवेदना एवं स्नेह-प्रेम के नितांत अभाव ने आज केवल पारस्परिक ईर्ष्या, द्वेष, जलन को ही प्रोत्साहन दिया है। इस अंधी दौड़ में प्रथम आने की व्यस्तता ने हमारे मुंह से | हंसी छीन ली है। आज हमारे पास इतना समय है कि हम दो घड़ी हंस लें-हंसा लें। परंतु यदि सच पूछा जाए, तो मनुष्य | और जानवर में अंतर ही क्या है, सिवाय इसके कि मनुष्य हंस सकता है परंतु जानवर हंस नहीं सकता। अर्थात् हंसना मानवता का गुण है और न हंसना आपको मानवता से कुछ दूर कर देता है...
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम
हंसिए और स्वस्थ रहिए

विदेशों में लोग डॉक्टर को टेलीफोन पर हंसाने की फीस देकर हंस रहे हैं। अपने देश में भी वह दिन दूर नहीं है जब लोगों को हंसने के लिए हंसी के इंजेक्शन लगवाने पड़े। यह जानते हुए भी कि स्वस्थ रहने के लिए हंसने से अधिक प्रभावकारी दूसरा टॉनिक नहीं है, लोग नहीं हंस पा रहे हैं। बताइए ये कैसी विडंबना है।

This story is from the January - March 2020 edition of NIROG DARPAN.

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