निशाने पे आंदोलन समर्थक
Loksangharsh Patrika|October 2020
मुसलमानों के अहम त्यौहार बकरीद (कुर्बानी) का महीना शुरू हुआ ही है के भारत में खास धार्मिक विचारधारा के लोग, एनजीओ, पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से कोरोना की आड़ लेकर उनके मजहबी आजादी पर नकेल कसने जमीन पर फैल गए हैं।
जुलेखां जबीं
निशाने पे आंदोलन समर्थक

This story is from the October 2020 edition of Loksangharsh Patrika.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the October 2020 edition of Loksangharsh Patrika.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM LOKSANGHARSH PATRIKAView All
निशाने पे आंदोलन समर्थक
Loksangharsh Patrika

निशाने पे आंदोलन समर्थक

मुसलमानों के अहम त्यौहार बकरीद (कुर्बानी) का महीना शुरू हुआ ही है के भारत में खास धार्मिक विचारधारा के लोग, एनजीओ, पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से कोरोना की आड़ लेकर उनके मजहबी आजादी पर नकेल कसने जमीन पर फैल गए हैं।

time-read
1 min  |
October 2020
राष्ट्र के लिए घातक है संविधान में बदलाव
Loksangharsh Patrika

राष्ट्र के लिए घातक है संविधान में बदलाव

हमें आज हमारे संविधान और हमारे देश को वर्तमान सरकार से बचाने की जरूरत है। आजादी के बाद से इसके पहले कभी भी ऐसी आवश्यकता नहीं हुई, और न ही लोगों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, जहाँ कानून का शासन नहीं बल्कि कानून रहित शासन इस भूमि पर चल रहा है।

time-read
1 min  |
October 2020
सीएए, एनआरसी के कारण मूल निवासियों का अस्तित्व खतरे में
Loksangharsh Patrika

सीएए, एनआरसी के कारण मूल निवासियों का अस्तित्व खतरे में

फरवरी 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया जिसके अनुसार भारत के वन क्षेत्र में रह रहे 21 लाख आदिवासी जो यह साबित नहीं कर पाए कि वे 2005 से पहले से इन वनों में रह रहे हैं, उन्हें जंगलों से खदेड़ दिया जाएगा।

time-read
1 min  |
October 2020