मेरे पूरे जिस्म में दर्द हो रहा है. पूरा जिस्म अकड़ रहा है. आह, कम से कम अब तो मुक्ति मिल जाए. कोई तो बुलाओ डाक्टर को," पुष्पा कराहते हुए बोल रही थी.
"शांत हो जाओ, मां. लो, मुंह खोलो, दवा पिलानी है," मंजू बोली.
" मेरी बच्ची, अब समय आ गया, मैं नहीं बचूंगी," कहते हुए पुष्पा ने गिलास लगभग छीनते हुए पकड़ा और दवा एकदम गटक ली.
This story is from the January First 2020 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January First 2020 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In