This story is from the July 2020 edition of Bhugol aur Aap.
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व धारा 69ए
दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से जारी किसान आंदोलनों के बीच सोशल मीडिया पर चलायी जा रही कथित 'प्रोपेगेंडा' व केंद्र सरकार की अति सक्रियता भी चर्चा का विषय बना हुयी है। दूसरे देशों से की जा रही ट्वीट और केंद्र सरकार की नोटिस की वजह से यह मुद्दा और चर्चा में बना रहा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में 8 फरवरी, 2021 को अपने संबोधन में इसे 'एफडीआई' तक की संज्ञा दे डाली। प्रधानमंत्री के अनुसार यह एफडीआई 'फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी' है। आईएए जानें कि पूरा मामला क्या है?
भारत में कृषि साख
भारत में किसानों का मुद्दा व कृषि कर्ज माफी संवेदनशील रही है। वैसे समय-समय पर भारत सरकार किसानों के लिए अल्पकालिक से लेकर दीर्घकालिक संस्थागत कर्ज तक पहुंचाने के लिए प्रयास करती रही है। चूंकि अनौपचारिक ऋण प्रणाली की तुलना में संस्थागत ऋण अधिक किफायती है, इसलिए इसका सीधा असर किसानों की उत्पादन लागत पर पड़ता है।
बजट 2021-22 विश्लेषण
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संघीय बजट पेश किया। पहली बार बजट डिजिटल तरीके से पेश किया गया। यहां बजट के परीक्षोपयोगी अंश को विश्लेषणात्मक तरीके से पेश किया गया है।
टर्मिनोलॉजी
फिएट करेंसीभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 25 जनवरी, 2021 को कहा कि यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आभासी (वर्चुअल) मुद्राओं की बढ़ती लोकप्रियता के बीच फिएट मुद्रा (Fiat Currency) के एक डिजिटल संस्करण की संभावना तलाशने पर वह विचार कर रहा है। उल्लेखनीय है कि फिएट करेंसी या फिएट मनी सरकार द्वारा जारी की गई मुद्रा है जो सोने जैसी कमोडिटी द्वारा समर्थित नहीं होती है।
भारत में चुनाव: विभिन्न मुद्दे
देखा जाए तो चुनाव भारतीय लोकतंत्र की रक्तवाहनियां हैं जो भारत में प्रजातंत्र रूपी रक्त को प्रवाहमय बनाए रखने में मदद करती हैं। यह एक जीवंत प्रणाली है और इसकी जीवंतता बनाए रखने के लिए इसे स्वस्थ रखना भी जरूरी है। इसे स्वस्थ रखने के लिए ही समय-समय पर भारत की निर्वाचन पद्धति में सुधार की मांग की जाती रही है और कई चुनाव सुधार लागू भी किए गए।
भारत में जल संरक्षण
वर्ष 2019 में अंतरिक्ष डेटा का उपयोग करके भारत में जल की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन केंद्रीय जल आयोग द्वारा किया गया था। इसके मुताबिक देश के 20 बेसिनों के औसत वार्षिक जल संसाधनों का आकलन 1999.20 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) के रूप में किया गया। भारत में जल संसाधन डेटा को बेसिन-वार बनाए रखा जाता है, न कि राज्यवार।
भारत में शार्क आबादी व संरक्षण
हाल में 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 1970 के पश्चात शार्क और रेज (Rays Fish) की वैश्विक आबादी 70 प्रतिशत कम हो गई है और इसकी वजह है सापेक्षिक मत्स्यन दबाव में 18 गुणा वृद्धि। इस अध्ययन के मताबिक 31 में से 24 शार्क प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं।
डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग तथा अनुप्रयोग) नियमन विधेयक
संसद् के आगामी सत्र में डीएनए टेक्नोलॉजी (प्रयोग तथा अनुप्रयोग) नियमन विधेयक' को पेश किया जाना है।
जल प्रबंधन
मुल्लापेरियार बांध 'रूल कर्व'
जैव विविधता संरक्षण
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व वनाग्नि