कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। एक साधारण किसान की जिंदगी और जीविका कृषि आमदनी से ही चलती है। सहकारी समितियां हमारी कृषि-किसानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संस्थानिक पद्धति है। ये सभी सहकारी समितियां कृषि संबंधी आर्थिक विकास की गतिविधियों में लगी हुई हैं। मसलन बीजों का वितरण, खाद, दवाएं या कृषि उत्पादों के वितरण, कृषि उत्पादों के विपणन, भंडारण अथवा प्रसंस्करण में क्रियाशील हैं।
भारत का सहकारी क्षेत्र विश्व के सबसे बड़े सहकारी क्षेत्रों में आता है। आंकड़ों के अनुसार 5.5 लाख के लगभग सहकारी समितियां हैं। इनकी सदस्यता 22.95 करोड़ से अधिक है और कार्यशील पूंजी लगभग 38,000 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। सहकारिता के अंतर्गत लगभग सभी गांव कवर किये गये हैं। करीब तीन चौथाई ग्रामीण परिवार सहकारी संस्थानों के सदस्य हैं।
सहकारिता समितियों का शोषण रहित चरित्र या 'एक आदमी एक वोट' का सिद्धांत कुछ ऐसी बातें थीं जो इन्हें चौतरफा विकास का एक उपकरण बना सकती थीं। पर ऐसा हुआ नहीं। आज सरकार खुद स्वीकार करती है कि इनमें संगठनात्मक दुर्बलताओं और क्षेत्रीय असंतुलन जैसी कुछ कमियां रह गईं। हमारी सरकार मानती है कि ऐसी कमियों का कारण अत्याधिक संख्या में सुषुप्त या निष्क्रिय किस्म की सदस्यता, सरकारी सहायता पर निर्भरता और बढ़ती हुई अतिदेयताएं हैं। हालांकि कमियों की वजह सिर्फ इतनी ही नहीं हैं। कुछ दूसरे कारण भी हैं। इन्हें जानना इसलिए जरूरी है ताकि इन कारणों को दूर किया जा सके। फिर धीरे-धीरे कमियों से छुटकारा पाया जा सके। सदस्यों से कम डिपाजिट की व्यवस्था कर पाना या व्यवसायिक प्रबंध का अभाव कुछ दूसरे कारण हैं।
सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है जिसमें सहकारी समितियों के पुनरोद्धार के लिए ठोस उपाय किए गए हैं। इसमें इन समितियों को जीवंत लोकतांत्रिक संगठन बनाने के साथ-साथ सदस्यों की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया गया था।
This story is from the 1st November 2022 edition of Modern Kheti - Hindi.
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।