खेत की तैयारी : हमारे प्रदेश में गेहूं के खेत की बुवाई अधिकतर धान के बाद की जाती है। अत: गेहूं की बुवाई में बहुधा देर हो जाती है। इसके लिये हमें पहले से यह निश्चित कर लेना होगा कि खरीफ में धान की कौन सी प्रजाति का चयन करें और रबी में उसके बाद कौन सी प्रजाति बोयें। गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिये धान की समय से रोपाई आवश्यक है जिससे गेहूं के लिये खेत अक्टूबर माह में खाली हो जाये। दूसरी बात ध्यान देने योग्य यह है कि धान में पडलिंग लेव के कारण भूमि कठोर हो जाती है। अतः भारी भूमि में पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई के बाद डिस्क हैरो से दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाकर ही गेहूं की बुवाई करना उचित होगा। डिस्क हैरो के प्रयोग से धान के ठूंठ छोटे-छोटे टुकड़ों में कट जाते हैं इन्हें शीघ्र सड़ाने हेतु 15-20 किलोग्राम नत्रजन (यूरिया के रूप में) प्रति हैक्टेयर की दर से खेत को तैयार करते समय पहली जुताई पर अवश्य दे देना चाहिये। ट्रैक्टर चालित रोटावेटर द्वारा एक ही बार की जुताई में खेत पूर्ण रूपेण तैयार हो जाता है।
संस्तुत प्रजातियां : असिंचित दशा में बुवाई ( 15 अक्टूबर से 14 दिसम्बर तक ) : यू.पी. 2338, पी.बी.डब्लू. 175, के. 78, के. 9351 (मंदाकिनी), के. 9465 (गोमती), के. 8027 (मगहर), के. 8962 (इन्द्रा), सी. 306 (सुजाता), एच.डी. आर. 77, एच. डी. 2888।
सिंचित दशा में सामयिक बुवाई (15 अक्टूबर से 14 दिसम्बर तक) : के 9107 (देवा), एच.पी. 1731 (राजलक्ष्मी), के. 9006 (उजियार), एन.डब्लू. 1012, यू.पी. 2382, एच. पी. 1761, एच.यू.डब्लू. 468, एच.यू.डब्लू. 510, एच.डी. 2733, एच.डी. 2824, पी. बी. डब्लू. 343, पी.बी.डब्लू. 443, यू.पी. 2338, एच.डी. 2888, एच.डी. 2824, एच. डी. 2967, के. 0307, पी.बी.डब्लू. 502, सी. बी. डब्लू. 38, राज 4120, डी. बी. डब्लू. 39, डी.बी.डब्लू. 17, डी.एल. 784-3 (वैशाली)।
ऊसरीली भूमि सिंचित दशा में : के. आर. एल. 1-4, के. आर. एल. 19, के. आर. एल. 210, के. आर. एल. 213, के. 8434 (प्रसाद), राज 3077, लोक. 1, पी.बी.डब्लू. 65 के. 8434, एन. डब्लू. 1076, एन. डब्लू. 1067, के. आर. एल. 210 एवं के. आर. एल. 213।
This story is from the 1st November 2022 edition of Modern Kheti - Hindi.
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
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भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
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