कृषि हमारा जीवन है। यह हमारे देश एवं राज्य की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है। राज्य में ही नहीं, पूरे देश में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है पर आज आवश्यकता है इन संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग से कृषि उत्पादकता को बढ़ाने की। इसलिए कृषि यंत्रों का योगदान कृषि में पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इन यंत्रों की आवश्यकता खेत की तैयारी से लेकर अनाज को बाजार पहुँचाने तक प्रत्येक कार्य में होता है।
अत: इन उन्नत कृषि यंत्रों के रखरखाव के बारे में जाने बिना उन्हें प्रयोग करने पर किसान भाईयों की परेशानी बढ़ जाने की संभावना है। इसलिए किसी भी यंत्र का प्रयोग करने से पहले उससे संबंधित सभी उपलब्ध जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए एवं सही निर्देशों के अनुसार यंत्र की देख-रेख करना चाहिए। कृषि मुख्यतः निम्न प्रक्रियाओं में यंत्रों का परिचालन किया जाता है जैसे भूमि समतलीकरण, जुताई, बुआई, फसल सुरक्षा, कटाई एवं गहाई।
भूमि समतलीकरण (लेजर लेवलर) यंत्र एवं उसका रख-रखाव: लेज़र लेवलर सूक्षमता खेती का बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। यह परंपरागत विधियों से एकदम हटकर एक अत्याधुनिक तकनीक है। जिसमें किरणों के द्वारा ट्रैक्टर के पीछे लगे मांझा बकेट को नियंत्रित करके भूमि को पूर्णतया समतल किया जाता है। ट्रैक्टर 50 हार्स पॉवर, ट्रांसमीटर, सेंसर या रिसीवर, कंट्रोल बॉक्स, मांझा बकेट हाइड्रोलिक सिस्टम ।
लेजर लेवलर के लाभ:
1. पानी की 30 से 40 प्रतिशत तक बचत होती है।
2. पैदावार में 5 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी पाई गई है।
3. खेत की जुताई के क्षेत्रफल में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी ।
4. समतल खेत का आकार बड़ा होने से जुताई, निराई व फसल सभी कार्यकलापों को करने में समय की बचत
5. खेत में पानी एकसार होने की वजह से धान में खरपतवार दवाईयों का ज्यादा असर।
मरम्मत, सुधार और रख-रखाव :
Denne historien er fra 1st April 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।