पौधे को अपना जीवनचक्र पूर्ण करने के लिए लगभग 60 या इससे भी अधिक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से 17 ऐसे तत्व हैं, जिन्हें आर्नन और स्टाउट ने आवश्यक पोषक तत्व की श्रेणी में रखा है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन और आक्सीजन पानी तथा हवा से पौधे श्वतः प्राप्त कर लेते हैं। अन्य 14 पोषक तत्वों की आपूर्ति भूमि, उर्वरक तथा खादों के माध्यम से होती है। आवश्यक पोषक तत्वों को, पौधों के पोषण की पूर्ति के लिये आवश्यक मात्रा के आधार पर मुख्य रूप से तीन भागों में जैसेमुख्य, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों में बांटा गया है। पौधों के मुख्य पोषक तत्व में वे तत्व आते हैं जिनको पौधे अधिक मात्रा में ग्रहण करते हैं जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश द्वितीयक पोषक तत्व जैसे- सल्फर, मैग्नीशियम तथा कैल्शियम जिनकों गौंड़ मात्रा में पौधे ग्रहण करते हैं और ये सभी मुख्य पोषक तत्व की आपूर्ति के साथ ही खाद या उर्वरक से हो जाती है। सूक्ष्म पोषक तत्व में वे तत्व आते है जिनको पौधें सूक्ष्म मात्रा में अर्थात 100 पी.पी.एम. या उससे भी कम मात्रा में ग्रहण करते हैं, इनमें क्लोरिन, आयरन, कापर, मैगनीज, बोरान, जिंक, मालिब्डेनम एवं निकिल आते है। पौधों के कुल शुष्क पदार्थ का लगभग 96 प्रतिशत भाग कार्बन, आक्सीजन व हाईड्रोजन से मिलकर बनता है। शेष 6 प्रतिशत अन्य सभी तत्वों से प्राप्त होते हैं। हालांकि पौधों और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा बहुत ही कम होती है, लेकिन इनका महत्व पौधे के विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों से कम नहीं होता है। यदि मृदा में को सूक्ष्म पोषक तत्व न मिले तो वह फसल बड़ी मात्रा में दिये जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का पूरा सदोपयोग नहीं कर सकते हैं। इसीलिए अच्छी फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का समुचित प्रबन्धन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
Denne historien er fra 15th August 2023-utgaven av Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।