
कोर्डिसेप्स का इतिहास कई सदियों पुराना है और इसकी उत्पत्ति पारंपरिक तिब्बती और चीनी चिकित्सा में हुई है और इसका इस्तेमाल 1,000 से अधिक वर्षों से हो रहा है। तिब्बती पशु पालकों ने यह महसूस किया कि उनके पशु जब उन जगह के घास चरते हैं जहां पर कोर्डिसेप्स उगता है, पशु अधिक ऊर्जावान और मजबूत हो जाते हैं। पारंपरिक चिकित्सा में इसका मुख्य उपयोग गुर्दे और फेफड़ों को मजबूत और सुदृढ़ करने और दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए किया जाता था। इसे थकान, श्वसन संबंधी समस्याओं, गुर्दे की बीमारियों, कम इच्छाशक्ति और नपुंसकता जैसी कई बीमारियों के इलाज में भी उपयोग किया जाता रहा है। इस पर 20वीं सदी में ज्यादा ध्यान दिया गया जब चीनी वैज्ञानिकों ने इसके अद्वितीय जीवन-चक्र और औषधीय गुणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने देखा कि इस मशरूम की फफूंद कीड़ों के लाखों में संक्रमण करती है और अंत में उन्हें मुम्मियाने बना देती है, जिससे केटरपिलर फफूंद का उद्भव होता है। इसके बाद कोर्डिसेप्स के संभावित स्वास्थ्य लाभों और वैज्ञानिक खोज में आगे बढ़ने में मदद मिली।
Diese Geschichte stammt aus der November 15, 2023-Ausgabe von Modern Kheti - Hindi.
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
परिचय : अरवी की खेती उत्तरी भारत में नगदी फसल के रूप में की जाती है। इससे प्राप्त घनकंदों तथा गांठों का प्रयोग शाक की तरह करते हैं।

पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
केरल कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने तरबूज की ऐसी किस्म विकसित की है, जो अपने रंग और बिना बीजों की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, नई किस्म के तरबूज का गुद्दा लाल की बजाये ऑरेंज कलर का है।

कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
सूरजमुखी विश्व की प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मूल स्रोत उत्तरी अमेरिका है।