![क्षारीय-लवणीय पानी की मार से बचाती है हरी खाद क्षारीय-लवणीय पानी की मार से बचाती है हरी खाद](https://cdn.magzter.com/1344336963/1715943451/articles/3QMK7NWgR1715949796296/1715950104536.jpg)
पंजाब में लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्रफल में भूमिगत पानी में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है। सिंचाई के लिए इस्तेमाल किये जाते भूमि निचले लवणीय या क्षारीय पानी के कारण भी भूमि की सेहत एवं फसलों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। गर्मी ऋतु में अधिक तापमान होने के कारण भूमि में मौजूद जैविक पदार्थ नष्ट हो जाता है और भूमि की सेहत कमजोर होती है। भूमि की सेहत खराब होने से आहारीय तत्वों की उपलब्धता कम हो जाती है सूक्ष्म तत्वों जैसे लोहा, जिंक, मैंगनीज और इत्यादि तत्वों की कमी बढ़ जाती है। फसलों से लगातार अच्छा उत्पादन लेने के लिए भूमि की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखना बहुत आवश्यक है। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना (पीएयू) की खोज दिखाती है कि हरी खादों के प्रयोग से फसलों का उत्पादन बढ़ता है। फसलों पर लवणीय- क्षारीय पानी का बुरा प्रभाव कम होता है और भूमि की सेहत भी सुधरती है। भूमि की सेहत के लिए फसली अवशेष, जैविक खादों के साथ-साथ हरी खाद को भूमि में दबाना आवश्यक है।
हरी खाद के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फलीदार फसलों राइजोबियम नाम जीवाणू के सुमेल से हवा से नाईट्रोजन पौधे की जड़ों में मौजूद गाँठों में जमा करके भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। पीएयू की ओर से ढँचा (जंतर), सण, गुआरा एवं लोबिया की फसल को बतौर हरी खाद इस्तेमाल करने की सिफारिश की जाती है। हरी खाद के लिए यंत्र एवं सण ऐसी फसलें हैं जो आसानी के गल जाती हैं और थोड़े समय में काफी मात्रा में हरी खाद पैदा करती हैं।
जमीन में हरी खाद दबाने के लाभ
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![ग्रीन हाउस में फूलों की खेती ग्रीन हाउस में फूलों की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/M5bhbR7TX1738741680962/1738741830703.jpg)
ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहां सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो सामान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।
![एफपीओ: भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान एफपीओ: भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/h9Tydyr8B1738742715095/1738743055069.jpg)
एफपीओ: भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान
भारत के कृषि परिदृश्य में छोटे और सीमांत किसान अधिक ( 86 प्रतिशत) हैं। इनमें से अनेक किसान सीमित संसाधन और छोटी जोत के कारण मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होते।
![खाद्य पदार्थों में मिलावट पहचान एवं बचाव खाद्य पदार्थों में मिलावट पहचान एवं बचाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/nM5NjB6eV1738740931155/1738741662746.jpg)
खाद्य पदार्थों में मिलावट पहचान एवं बचाव
हम सब घरेलू खान-पान वाली वस्तुएँ आमतौर पर बाजार से खरीद कर ही इस्तेमाल करते हैं। कुछ मुनाफाखोर इनमें नकली एवं मिलावटी वस्तुएं मिलाकर बिक्री बढ़ाने के लिए खपतकारों को बेच देते हैं। इन नकली एवं मिलावटी वस्तुओं से सेहत खराब होती है और शरीर का भी बहुत नुक्सान होता है। हमें बाजार से वस्तुएं खरीदते समय सचेत रहना चाहिए। आओ हम असली नकली एवं मिलावटी वस्तुओं की पहचान करने के बारे में जानकारी सांझा करें।
![हरी खाद सवारें मिट्टी के गुण हरी खाद सवारें मिट्टी के गुण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/0Okpvi7Kj1738743070512/1738743212749.jpg)
हरी खाद सवारें मिट्टी के गुण
फसलों की अच्छी पैदावार बनाये रखने के लिए मिट्टी के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणों का बढ़िया अवस्था में होना बहुत जरूरी है।
![जलवायु संकट का सामना करने में नई तकनीकों की जरुरत जलवायु संकट का सामना करने में नई तकनीकों की जरुरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/FMFip8NwH1738739238259/1738739303069.jpg)
जलवायु संकट का सामना करने में नई तकनीकों की जरुरत
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु संकट का सामना करने के लिए नई तकनीक, तौर-तरीके और सहकारी संस्थाएं मददगार साबित हो सकती हैं।
![हरे चारे के अभाव में साइलेज से पशुधन की पोषण सुरक्षा हरे चारे के अभाव में साइलेज से पशुधन की पोषण सुरक्षा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/3_dWdh4re1738739514380/1738739748937.jpg)
हरे चारे के अभाव में साइलेज से पशुधन की पोषण सुरक्षा
देश में पशुधन के पोषण हेतु हरे और पौष्टिक चारे की बहुत कमी है। निरंतर घटती जोत के कारण मात्र 4 प्रतिशत कृषि भूमि पर हरे चारे का उत्पादन संभव हो पा रहा है।
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बायोचार कीटनाशकों का मिट्टी में कम कर सकता है प्रभाव
दुनिया के कई हिस्सों में डीडीटी के कारण मिट्टी का प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है। शोधकर्ताओं ने इस जहर से होने वाले पारिस्थितिक खतरों को प्रबंधित करने के लिए इसे बायोचार के साथ मिलाकर एक नई विधि तैयार की है।
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कीट नियंत्रण में फेरोमेन ट्रेप का उपयोग
फेरोमेन एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ है जो वैज्ञानिकों द्वारा संश्लेषित करके इसे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। जो उस जाति के नर कीट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
![कृषि रसायन : दवा या जहर कृषि रसायन : दवा या जहर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/yTqBhYADh1738740263908/1738740376443.jpg)
कृषि रसायन : दवा या जहर
प्राकृतिक, कृषि एवं वातावरण की स्थिरता के लिए हमें कृषि में जैविक प्रबंधन को बढ़ावा देना होगा। जैविक खेती के महत्वपूर्ण स्तम्भ जैसे जैविक खाद, केंचुआ खाद, जीवाणु खाद, बायोगैस स्लरी का उपयोग, कीटों व बीमारियों का जैव नियंत्रण, फसल चक्र प्रबंधन आदि को अपनाना ही होगा।
![कृषि की तरक्की के लिए नए संस्थानों पर दारोमदार कृषि की तरक्की के लिए नए संस्थानों पर दारोमदार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1979251/Dhr8AhBWJ1738742219082/1738742702638.jpg)
कृषि की तरक्की के लिए नए संस्थानों पर दारोमदार
कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान करने के साथ राष्ट्रीय कार्यबल के 45 प्रतिशत को रोजगार भी प्रदान करता है।