ये साझेदारियां कई कारणों से सहभागी पादप प्रजनन में भागीदारी पहल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं:
1. विविध विशेषज्ञता: साझेदारी विविध विशेषज्ञता और दृष्टिकोण को एकसाथ लाती है, प्रजनकों के तकनीकी ज्ञान को किसानों की व्यावहारिक अंतर्दृष्टि और उपभोक्ताओं की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के साथ जोड़ती है।
2. संसाधन साझा करना: साझेदारी संसाधनों को साझा करने में सक्षम बनाती है, जिसमें वित्तीय संसाधन, बुनियादी ढांचा, जर्मप्लाज्म (पौधे आनुवंशिक सामग्री) और तकनीकी जानकारी शामिल है। यह साझाकरण संसाधन की कमी को दूर करने और सहभागी पादप प्रजनन पहल की प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
3. सहयोगात्मक निर्णय लेनाः सहभागी पादप प्रजनन में, प्रजनन उद्देश्यों, चयन मानदंड और प्रजनन रणनीतियों के संबंध में निर्णय अकसर शामिल सभी भागीदारों द्वारा सहयोगात्मक रूप से किए जाते हैं। यह सहभागी निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि प्रजनन कार्यक्रम सभी हितधारकों की प्राथमिकताओं और मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है।
4. स्थानीय ज्ञान एकीकरण: किसानों के पास फसल प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्थिति, कीट और बीमारी के दबाव और उपभोक्ता प्राथमिकताओं के बारे में मूल्यवान स्थानीय ज्ञान होता है। साझेदारी इस स्थानीय ज्ञान को प्रजनन प्रक्रिया में एकीकृत करने की अनुमति देती है, जिससे ऐसी किस्में तैयार होती हैं जो स्थानीय परिस्थितियों के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित होती हैं और किसानों और उपभोक्ताओं द्वारा अधिक आसानी से स्वीकार की जाती हैं।
5. क्षमता निर्माणः साझेदारी में अकसर क्षमता निर्माण गतिविधियाँ शामिल होती हैं जिनका उद्देश्य किसानों और अन्य हितधारकों को प्रजनन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाना है। इसमें बीज चयन, फसल प्रबंधन प्रथाओं, डेटा संग्रह और अनुसंधान पद्धतियों में प्रशिक्षण शामिल हो सकता है।
This story is from the 1st June 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।