'बीज विक्रय दुष्कर'
Modern Kheti - Hindi|1st November 2024
बीज उत्तम गुणवत्ता का हो तो भरपूर उत्पादन होता है। भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियंत्रण आदेश 1983 तथा भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक 1965, 1971, 1988, 2013 एवं नवीनतम 2023 की रचना की। ये सभी बीज कानून बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सक्षम हैं।
आर. बी. सिंह
'बीज विक्रय दुष्कर'

इन बीज कानूनों को लागू करने (Enforcement) का अधिकार कृषि विभाग के एक वर्ग बीज निरीक्षक तथा बीज लाइसेंसिंग प्राधिकारी के कंधों पर है। कृषि वर्ग प्रति वर्ष प्रति छमाही ऐसे परिपत्र (Circular) या आदेश पारित करते रहते हैं जो उपरोक्त बीज कानूनों में नहीं है और वे ऐसी कार्यवाही के लिये बीज कानूनों द्वारा अधिकृत नहीं है। यहां यह उल्लेख करना सही होगा कि अपनी मर्जी के ऐसे आदेश पारित करने का बहाना कितना पावन पवित्र और पाक है कि यह किसानों को गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध करवाने हेतु किया जा रहा है।

राजस्थान सरकार ऐसे कार्य करने में अग्रसर रहती है। पिछले कुछ समय पूर्व लाइसैंस लेने एवं नवीनीकृत करवाने के लिए राजस्थान सरकार ने बिना किसी पत्र के एक चैकलिस्ट जारी की जिसके 20 बिन्दुओं में सूचना मांगी थी। दूसरे राज्य भी ऐसे ही पत्र जारी कर रहे हैं परन्तु इनमें लिखी बातों का बीज कानूनों में कहीं उल्लेख नहीं है।

1. बीज विक्रय:

बीज उत्पादन एवं वितरण/विक्रय एक राज्य की सीमा तक सीमित नहीं किया जा सकता। अतः बीज व्यवसाईयों को अपना तैयार किया बीज अपने राज्य एवं दूसरे राज्य में विक्रय के लिए बीज कानून बाधक नहीं, बल्कि इनको लागू करने वाले कृषि अधिकारी अपनी मर्जी से कानून की समीक्षा करते हैं और बाधा डालने का प्रयास करते हैं।

2. बीज विक्रय लाइसैंस:

बीज अधिनियम-1966 के अनुसार लाइसेंस लेकर बीज विक्रय करना जरूरी नहीं था। बीज विक्रय लाइसैंस बीज नियंत्रण आदेश-1983 के लागू होने या यूं कहें जुलाई 1994 से लाइसैंस लेकर लागू हुआ क्योंकि 10 साल उच्चतम न्यायालय में वाद रहा और इसका क्रियान्वन (Execution) निलम्बित रहा। अब बिना लाइसेंस प्राप्त किए बीज विक्रय अपराध (Crime) है।

3. बीज उत्पादक एवं बीज नियंत्रण आदेश:

बीज विक्रय लाइसैंस बीज नियंत्रण आदेश 1983 के अन्तर्गत डीलर को दिया जाता है। बीज नियंत्रण आदेश 1983 में मात्र डीलर शब्द है उसमें बीज उत्पादक शब्द नहीं है परन्तु बीज उत्पादक भी बीज तैयार कर विक्रय करते हैं। अतः वे भी डीलर की श्रेणी में आ जाते हैं। यह उल्लेख बंगलौर उच्च न्यायालय द्वारा निर्णीत एन.वी.पाटिल एवं अन्य के 1999 में निर्णीत वाद में किया गया है।

4. फार्म-B की भाषा:

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