जायद में सूरजमुखी की खेती पड़ता से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। कहा जाता इसके फूल, सूरज की दिशा होने में मुड़ जाने के कारण इसे सूरजमुखी कहा जाता है। यह देश की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसका तेल हल्के रंग, अच्छे स्वाद और इसमें उच्च मात्रा में लिनोलिक एसिड होता है, जो कि दिल के रोगियों के लिए अच्छा होता है। सूरजमुखी के बीज में खाने योग्य तेल की मात्रा 48 से 53 प्रतिशत होता है।
यहां किसान भाईयों के लिए सूरजमुखी की खेती की जानकारी जलवायु, किस्में, रोकथाम व पैदावार आदि पर जानकारी प्रदान की गई है। जिससे किसान भाई इस फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
सूरजमुखी की खेती के लिए जलवायु और भूमि :
उपयुक्त जलवायु : सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसम में की जा सकती है। फसल पकते समय शुष्क जलवायु की अति आवश्यकता पड़ती है।
उपयुक्त भूमि : सूरजमुखी की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। परन्तु अधिक जल रोकने वाली भारी भूमि उपयुक्त है। निश्चित सिंचाई वाली सभी प्रकार की भूमि में अम्लीय व क्षारीय भूमि को छोड़कर इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। हालांकि दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है।
खेत की तैयारी : खेत में पर्याप्त नमी न होने की दशा में पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिये। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा देशी हल से 2 से 3 बार जोत कर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए। रोटावेटर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है।
सूरजमुखी की खेती के लिए किस्में :
सूरजमुखी की उन्नत और संकर किस्में इस प्रकार हैं, जैसे-
उन्नत किस्में :
बी.एस.एच 1 : इस किस्म में तेल की मात्रा 41 प्रतिशत होती है, कीट प्रतिरोधक, पौधे की ऊंचाई 130 से 150 सैंटीमीटर रहती है। उपज 10 से 15 क्विंटल और अवधि 90 से 95 दिन है।
एम.एस.एफ. एस 8 : इस किस्म में तेल की मात्रा 42 से 44 प्रतिशत होती है। पौधे की ऊंचाई 170 से 200 सैंटीमीटर होती है। उपज 15 से 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है और अवधि 90 से 100 दिन है।
This story is from the 1st January 2025 edition of Modern Kheti - Hindi.
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बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”
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