हरियाणा के करनाल शहर में एक दंपती अपनी छोटी सी बच्ची का हाथ पकड़े बाल निकेतन स्कूल के औफिस में पहुंचा. वह अपनी बेटी के ऐडमिशन के लिए वहां गया था.
औफिस में प्रिंसिपल ने पूछा, “बच्ची के पिता का नाम क्या है?”
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "मैडम, मैं बच्ची का पिता बनारसी लाल चावला हूं,” फिर अपनी पत्नी की ओर इशारा कर के बोला, “यह संजोयती बच्ची की मां है."
प्रिंसिपल ने एक नजर बच्ची की ओर डाली और फिर बड़े प्यार से पूछा, “बेटी, तुम्हारा नाम क्या है?”
“मोंटी," बच्ची ने जवाब दिया.
“यह तो तुम्हारा घर का नाम हुआ न. स्कूल के रिकौर्ड में क्या लिखवाना है?”
इस पर बच्ची की मां बोली, "मैडम, हम ने 3-4 नाम सोचे हैं, पर अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि कौन सा रखें," कह कर बच्ची की मां ने तीनोंचारों नाम बताए.
सभी नाम सुन कर मोंटी तपाक से बोली, “कल्पना, मेरा नाम कल्पना रख लो. मुझे कल्पना नाम अच्छा लगता है."
“लेकिन क्यों, तुम्हें कल्पना नाम क्यों अच्छा लगता है?” प्रिंसिपल ने मुसकरा कर पूछा.
“क्योंकि कल्पना का अर्थ होता है सपना और मुझे भी सपना देखना अच्छा लगता है," मोंटी ने जवाब दिया.
मोंटी का नाम स्कूल में उस की इच्छानुसार कल्पना लिखवा दिया गया.
"कल्पना की जन्मतिथि क्या है?” प्रिंसिपल ने फिर पूछा.
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जो ढूंढ़े वही पाए
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डिक्शनरी
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सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.