इन दिनों स्कूल की छुट्टियां चल रही थीं. जंपी बंदर और मीकू चूहे की तरह ही जंगल के दूसरे बच्चों के पास काफी खाली समय था.
वे खाली समय में दिनभर शरारतें करते और ऊधम मचाते थे. ऐसे में एक दिन खबर आई कि पास के सुंदरवन से बैडी भेड़िया अपनी कठपुतलियां ले कर उन के यहां खेल दिखाने आ रहा है.
“हुर्रे, मजा आ गया. मुझे तो कठपुतलियों का खेल बहुत पसंद है,” खबर सुनते ही जंपी बंदर खुशी से उछल पड़ा.
“तुम ठीक कहते हो, हम बहुत दिनों से बोर हो रहे थे. अब कठपुतली का खेल देख कर खूब मजा आएगा,” मीकू ने अपने दोस्त की बात सुन कर कहा.
बैडी का कठपुतली खेल बहुत ही मजेदार था.
राजा, रानी, मंत्री, सेनापति चौकीदार, नाचने वाली, गाने वाली ऐसी कई कठपुतलियां थीं, जो मंच पर मटकमटक कर खेल दिखाती तो देखने वाले काफी खुश होते और तालियां बजाते. सब से बड़ी बात यह थी कि खेल की कोई टिकट नहीं रखी गई थी इसलिए दर्शकों की खूब भीड़ उमड़ पड़ी थी.
शोरशराबे के कारण पीछे बैठे दर्शकों को ज्यादा साफ सुनाई नहीं दे रहा था, इसलिए जंपी और मीकू हमेशा आगे वाली पंक्ति में बैठ कर खेल देखते थे. खेल की कहानियां इतनी रोचक होतीं कि समय का पता ही नहीं चलता था.
“अरे, मेरा बटुआ कहां चला गया? अभी थोड़ी देर पहले तो मेरी जेब में ही था,” ब्लैकी भालू ने जब अपनी जेब देखी तो उस के होश उड़ गए.
“अरे, मेरे गले की चैन कहां गई?” विवि लोमड़ी ने गले पर हाथ फेरा तो हक्कीबक्की रह गई. दर्शकों में से कईयों का सामान पार हो चुका था.
इंस्पैक्टर मोटू हाथी ने आ कर जांचपड़ताल शुरू कर दी, चोर का कोई सुराग नहीं मिला ऐसा अकसर होने लगा, तो सब का माथा ठनका और उन को बैडी पर शक हो गया. इस के यहां आने के बाद से ही चोरियां काफी होने लगी हैं. सभी यही सोच कर चिंतित होने लगे.
"साहब, हम लोग गरीब जरूर हैं पर चोर नहीं हैं. आप हमारी तलाशी ले लीजिए. हम तो बच्चों का मन बहलाने यहां आते हैं. हमें चोर मत समझिए. दारोगा ने बैडी से पूछताछ की तो उस ने अपनी कठपुतलियां उन के सामने रख दीं.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.