स्कूल चुनाव प्रचार का यह आखिरी दिन था और हेडमास्टर शेर सिंह ने उम्मीदवारों को लंच के बाद अपना अंतिम प्रचार भाषण देने के लिए कहा था.
स्कूल से जुलूस गुजरने के बाद सभी लोग खुले मैदान में रुके.
कुकी ने स्टेज के बीचोंबीच खड़े हो कर भाषण दिया, "प्यारे दोस्तो, यह स्कूल हम सब बच्चों का है. इसे और अच्छा बनाने में हम सब का योगदान होना चाहिए. जैसे हम ने अपने मैनिफेस्टो में लिखा है कि हम पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए स्कूल अतिरिक्त कक्षाएं लगाएंगे. हम गरीब बच्चों की मदद के लिए 'बाल कल्याण कोष' की स्थापना भी करवाएंगे.
"अतः आप सभी से मेरा निवेदन है कि हमारे समूह के सभी प्रत्याशियों को अपना बहुमूल्य वोट दे कर विजयी बनाएं, चितवन की जय."
उस के जोशीले और शानदार भाषण पर बच्चों ने जोरदार तालियां बजाईं. इस के बाद बच्चे जोश में आ कर जोरशोर से नारे लगाने लगे, 'कुकी जिंदाबाद, वोट फोर कुकी.'
कुकी के जुलूस को देख कर और उस का जोशीला भाषण सुन कर उस के प्रतिद्वंद्वी कैनी सियार और बिन्नी बिल्ली भी हक्के बक्के रह गए.
सप्ताह भर पहले कुकी को बहुत कमजोर प्रत्याशी समझा जा रहा था. उसे कोई भी महत्त्व नहीं दे रहा था और सब उस का मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन आखिर चुनाव के अंत में वह सब से मजबूत दावेदार कैसे हो गया था?
15 दिन पहले हेडमास्टर ने सुबह की प्रार्थना सभा में घोषणा की, "इस बार तीसरी से 8वीं तक के विद्यार्थियों द्वारा चुनाव के माध्यम से 'बाल संसद' का गठन किया जाएगा."
विवरण स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगा दिया गया. बाल संसद के गठन के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, उपमंत्री, कोषाध्यक्ष और 5 अन्य सदस्यों का चुनाव होना था.
8वीं कक्षा के छात्र कैनी सियार ने इस पद के लिए अगले ही दिन अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी. कैनी दबंग था और उस का एक ग्रुप था, जो उस का समर्थन करता था.
कैनी यह मान कर चल रहा था कि उस की जीत पक्की है. कोई भी उस के सामने अध्यक्ष पद के लिए खड़ा होने की हिम्मत नहीं करेगा. वह बड़े घमंड से घूम रहा था कि मानो चुनाव से पहले ही 'बाल संसद' का अध्यक्ष बन गया हो.
लेकिन कक्षा 8 की बिन्नी नहीं चाहती थी कि कैनी निर्विरोध अध्यक्ष बन जाए. कैनी कई बार बिन्नी का लंच चुरा कर खा चुका था, इसलिए वह उसे अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहती थी.
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बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.