उस की मां ने उस के लिए उस का फैवरेट नाश्ता पैक किया था, जैसा उस ने कहा था.
'वाह, गरमागरम पनीर पकौड़े, यह मेरी फेवरेट डिश है. मैं आज दोपहर के भोजन का मजा लूंगा,' वह सोचते हुए मुसकराया. वह नाश्ता करने ही जा रहा था, तभी बनी और सुयश भी उस के पास आ गए.
“अपना टिफिन इधर दो, हमें बहुत भूख लगी है," बनी ने कहा और जवाब का इंतजार किए बिना ही मयंक से टिफिन छीन लिया.
"क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है, अब मैं क्या खाऊंगा? तुम ने मेरे लिए एक पकौड़ा भी नहीं छोड़ा," मयंक ने विरोध किया.
"तुम क्या बात कर रहे हो? हवा में सांस ले कर तुम अपनी भूख मिटा सकते हो,” बनी ने सुयश के साथ हंसते हुए मजाक किया.
उन की क्लास की लड़की तानिया बोली, “तुम दोनों उस से बड़े हो. तुम्हें अच्छी तरह मालूम होना चाहिए कि ऐसा करना गलत है. मयंक से माफी मांगो और उसे कैंटीन से कुछ खाने को ला कर दो वरना क्लास टीचर से मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगी,"
बन्नी और सुयश ने उसे गुस्से से घूरा.
"तुम्हें जो करना है करो. इतनी चालाकी मत दिखाओ, " सुयश ने व्यंग्य करते हु तानिया की पानी की बोतल उठाई और सारा ठंडा पानी एक ही घूंट में पी कर बोतल खाली कर दी.
तानिया को यह देख कर निराशा हुई, क्योंकि उसे अहसास हुआ कि अब उसे पूरे दिन, यहां तक कि गेम्स पीरियड के बाद भी जब गर्मी अपने चरम पर होती है, स्कूल की पानी की टंकी से ही काम चलाना पड़ेगा.
ऐसा अकसर होता था. सीनियर जूनियर से मजाक करते थे और हर छोटीछोटी बात पर उन्हें चिढ़ाते थे. कभीकभी वे बिना पूछे उन का सामान ले लेते, तो कभी उन का टिफिन खा जाते थे.
एक दिन जब अदित अपनी होमवर्क कौपी में सुंदर अक्षरों में कविता लिख रहा था, तभी नमन ने उसकी पीठ थपथपाई. अदित का हाथ हिल गया, जिस से उस की नोटबुक में लिखा मैटर खराब हो गया.
"सौरी दोस्त, गलती से हाथ लग गया,” नमन ने मुंह बनाते हुए कहा. जैसे ही उस ने कहा, उस के मुंह में भरा पानी अदित की नोटबुक पर गिर गया, जिस से नोटबुक पूरी तरह खराब हो गई. इस से अदित की आंखों में आंसू आ गए, क्योंकि उस की सारी मेहनत बेकार हो गई थी.
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बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.