पशु चिकित्सक से अभिनेता बने नीतीश भारद्वाज की आईएएस पत्नी स्मिता भारद्वाज के साथ फिर भार सुबह सुबह बहस हो गई थी. नाराज पत्नी चीखती हुई हिदायत के साथ बोल पड़ी थी, "मैं ने तुम्हें कितनी बार कहा है कि बच्चों को महाभारत के किस्से कहानियों से दूर रखा करो. अभी उनकी पढ़ाई का समय है."
"धर्म और अध्यात्म की बातों से ज्ञान मिलता है," नीतीश ने चाय का प्याला उठाते हुए कहा.
"मिलता होगा, लेकिन उस की एक उम्र होती है. और वैसे भी महाभारत की कौन सी बातें सीख कर ज्ञान हासिल करेंगे?" पत्नी बोली.
"महाभारत में सीखने की बहुत सारी बातें हैं. उस में गलत क्या है?" नीतीश ने कहा.
"क्या सीखेगी उस से हमारी 7 साल की बेटी ? चीर हरण, औरतों का अपमान और जुआ..." पत्नी चीखती हुई बोली.
"तुम तो बेकार में बात खींच रही हो. बच्चों को आध्यात्मिक किताबों का ज्ञान तो होना ही चाहिए." नीतीश ने समझाने की कोशिश की.
"कोर्स की किताबों का क्या होगा?" कह कर गुस्से में पत्नी अपने कमरे में चली गई और काफी देर तक बड़बड़ाती रही. नई पुरानी बातों से उनके बीच बहस और तेज हो गई.
उन के बीच यह आए दिनों की बात थी. अकसर वे धर्म, अध्यात्म और आजकल के माहौल में बच्चों की परवरिश को ले कर दोनों झगड़ पड़ते थे. जब उन के बीच तनाव काफी बढ़ जाता था, तब पत्नी स्मिता नीतीश को पहली पत्नी और बच्चों को छोड़ कर चले जाने का ताना मारने लगती थी. कई बार चेतावनी दे चुकी थी, "यही रवैया रहा तो मैं भी बच्चों संग अपनी अलग दुनिया बसा लूंगी."
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