"आज मेरा मूड अच्छा नहीं है। मुझे किसी के घर नहीं जाना। बात करने की बिल्कुल इच्छा नहीं हो रही। पता नहीं, यह गर्मी कब तक रहेगी?" निवेदिता ने जब पति रोहित से उदासी भरे स्वर में यह बात कही तो वह थोड़ा हैरान हो गया कि आखिर इस गर्मी का मूड से क्या संबंध? सोचने लगा कि निवेदिता को क्या हो गया है? क्यों उसका मूड इतना खराब रहने लगा है, जबकि वह एक खुशमिजाज और जिंदादिल महिला रही है? रोहित ने बिना समय गंवाए अपने मनोचिकित्सक मित्र से बात की। उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मौसम भी मूड स्विंग का प्रमुख कारण हो सकता है। गर्मी के दिनों में वैसे ही बहुत आलस आता है। उस पर अगर तेज धूप हो तो ज्यादा समय घर के अंदर ही बिताना पड़ता है। दूसरी ओर, सर्दी के दिनों पर्याप्त धूप न मिलने से आलस और तनाव, दोनों घेर लेते हैं। शोध भी इशारा करते हैं कि ध्रुवीय इलाकों में रहने वाले लोगों को विशेषकर मौसमी मूड स्विंग की समस्या होती है।
ग्लोबल वार्मिंग बड़ी वजह
मौसम में बदलाव एक प्राकृतिक चक्र है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण इसमें आए अकल्पनीय बदलाव ने गृहिणियों, कामकाजी और पेशेवर महिलाओं से लेकर खिलाड़ियों तक, हर किसी को प्रभावित किया है। देहरादून की धावक ज्योत्सना रावत अपने अनुभव कुछ यूं बताती हैं, "किसी भी आउटडोर या एडवेंचर स्पोर्ट्स में मौसम की बड़ी भूमिका होती है। ज्यादा बारिश हुई तो आप समय पर अभ्यास नहीं कर पाती हैं। चिलचिलाती धूप में दौड़ने से सनबर्न हो जाता है। मैंने भी माउंटेनियरिंग और पहाड़ों पर लंबी दूरी की मैराथन करते हुए यह सब झेला है। फिर भी सनस्क्रीन के प्रयोग की जरूरत महसूस नहीं हुई। लेकिन अब ये चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से हमें प्रभावित कर रहे हैं। पहले रास्ते की सुरक्षा का ही ध्यान रखना होता था। अब तो मौसम भी असुरक्षित महसूस कराने लगा है। पहाड़ों पर तीन-चार बजे की धूप इतनी तीखी होती है कि बाहर अभ्यास करने से लेने के देने पड़ सकते हैं। दिल्ली जैसे महानगरों में हालात और भी गंभीर हैं। थेरैपी के सिलसिले में तीन महीने वहां रहना मेरी सेहत पर भारी पड़ा। गले से लेकर छाती का संक्रमण झेलने को मजबूर हुई।"
ऋतु चक्र बदलने से बॉडी क्लॉक गड़बड़
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ढीला ढक्कन
“ओफ्फो श्रेया, कुछ काम तो तसल्ली से कर लिया करो। पता नहीं क्यों, हर समय जल्दबाजी में रहती हो?”श्रेया ने आवाज सुन वहीं से जानना चाहा और बोली, “अब क्या हुआ शेखर? क्या कर दिया मैंने?”
सर्दी के मौसम में अदरक का साथ
सर्दियों में अदरक का सेवन करने से शरीर को गरमी और ऊर्जा मिलती है, लेकिन इसका सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए?
ये परदे कुछ खास हैं
परदे घर की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और कमरे में रंग, पैटर्न और टेक्सचर की छटा बिखेरते हैं। परदे बाहर से आने वाली गंदगी को घर में आने से भी रोकते हैं और कमरे में एकांत की भावना पैदा करते हैं। इसके साथ ही खूबसूरत परदों के इस्तेमाल से फर्नीचर की शोभा भी बढ़ जाती है। आजकल बाजार में कई डिजाइनों के खूबसूरत परदे आसानी से मिल जाते हैं, जिससे घर की खूबसूरती में चार-चांद लगाए जा सकते हैं।
कहीं छोटा न रह जाए!
बच्चों की हाइट को लेकर कई माता-पिता परेशान रहते हैं, खासतौर से जिनकी हाइट उम्र के हिसाब से कम होती है। जानकार कहते हैं कि ऐसे में आत्मविश्वास को कमजोर न होने दें।
जेन-जी का आकर्षक स्टाइल
जेन-जी के फैशन ट्रेंड्स ने सर्दियों के फैशन को एक नया आयाम दिया है। उसकी स्टाइलिंग में एक ऐसा कॉन्फिडेंस और इनोवेशन है, जो उसे भीड़ में भी सबसे खास दिखाता है।
क्या फट गई हैं एड़ियां?
सर्दियों में कई महिलाओं की एड़ियां फटने लगती हैं। कभी-कभी तो यह समस्या इतनी विकराल हो जाती है कि एड़ियों खून तक आने लगता है। ऐसे आप क्या करती हैं?
नए साल में खिलें फूल की तरह!
दिन बदले। साल बदल गए। खुद को कितना बदला आपने? खुद को कितना 'नया' बनाया आपने? समय-समय पर सकारात्मक बदलाव जरूरी हैं, तभी जिंदगी में कुछ नया होता है।
सपनों की स्टीयरिंग
उस वक्त रोजगार की कोई खास समस्या नहीं थी। समस्या थी तो बस पिता के पास बैठ अपने सपने की बात करना।
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तंदूरी प्याज कुलचा
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