पिंकी अपनी सहेली स्नेहा के घर पहुंची। वहां उसका 3 वर्षीय बेटा रोहन खिलौनों से खेल रहा था। पिंकी ने प्यार से रोहन से कहा, "क्या कर रहे हो, बेटा? हमें भी अपने साथ खिला लो।" इतना सुनते ही रोहन ने गुस्से से पिंकी की तरफ देखा और बोला, "यू स्टुपिड!" रोहन के ये शब्द सुनते ही पिंकी ने अचरज के साथ स्नेहा की तरफ देखा। स्नेहा ने मुस्कुराकर कहा, "पहली बार मिला है तुमसे, इसलिए ऐसा कह रहा है।" पिंकी को स्नेहा का इस तरह मुस्कुराना थोड़ा अखरा। उसने समझाते हुए कहा, "स्नेहा, बच्चे के व्यवहार के लिए उसके साथ माता-पिता का व्यवहार, घर का माहौल सब जिम्मेदार होते हैं। ये बातें आज अच्छी लग रही हैं, लेकिन जब बच्चा बड़ा होगा तो बुरी लगेंगी।"
जानकार कहते हैं, बच्चे की मनपसंद चीजों से कमरे को सजाना उसके विकास में सहायक होता है, क्योंकि इससे वह अपनी चीजों से जुड़ाव महसूस करता है।
आप अक्सर यह बात सुनती होंगी कि अपना घर तो अपना ही होता है और चाहे हम किसी भी महंगी या सस्ती जगह चले जाएं, लेकिन जो सुकून घर में मिलता है, वह कहीं नहीं मिलता। दरअसल, घर चाहे छोटा हो या बड़ा, परिवार के लिए काफी मायने रखता है। अगर घर में छोटे बच्चे हैं तो कैसे वातावरण में पल-बढ़ रहे हैं, घर के अंदर कैसा महौल है और किस तरह से घर की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है, इसका बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
■ पहली सीख घर से : मधु अपनी ढाई वर्षीय बेटी के साथ खेल रही थी। बातों-बातों में उसने समझाया, "बड़ों के साथ हमेशा आदर से पेश आना चाहिए और उनके नाम के साथ जी लगाना चाहिए। इस पर मासूम-सी आवाज में आहना बोली, “मम्मी जी!” इतना सुनते ही मधु मुस्कुरा दी। असल में, बच्चे माता-पिता से ही सबसे पहले सीखते हैं, इसीलिए कहा जाता है कि माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं। अगर आपके बच्चे को स्वस्थ और दोस्ताना वातावरण मिलेगा तो वह चीजों को जल्दी से सीखना शुरू कर देगा और अच्छी बातें ज्यादा गंभीरता से सीख पाएगा।
This story is from the August 4, 2023 edition of Rupayan.
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छोटी चोटें बड़ा जोखिम
घर के ढेर सारे काम करने के दौरान आपको जख्म या चोट लग जाती है, जिसका इलाज आप घर पर खुद ही कर लेती हैं, लेकिन हमेशा ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है।
मायके से अनूठा प्रेम
“असल में वह कंवलजीत के मायके की तरफ से आया था, इसलिए मुझसे नहीं रहा गया”, कहते हुए उनकी आंखों से कंवलजीत के लिए स्नेह उमड़ आया था।
पत्ते-पत्ते में सहित
स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी है पोष्टिक आहार का सेवन। ठंड का मौसम विशेष रूप से गलत त से पोषक तत्वों के सेवन के लिए उपयुक्त होता है, जो आपको हरी पत्तेदार सब्नियों के साथ-साथ अन्य सब्जियों के पत्तों से भी मिल सकता है।
उफ ! ये डैंड्रफ और हेयर फॉल
ठंडी हवाएं त्वचा की नमी को छीनती हैं और स्कैल्प को रुखा बना देती हैं। नतीजा, डैंड्रफ ओर बालों का झड़ना। लेकिन ऐसा क्यों होता है, आपने कभी जानने की कोशिश की?
नए साल में कुछ नया, कुछ पुराना
नए साल में नया फैशन आजमाएं ओर खुद को ताजगी से भरें ट्रेंडिंग रंगों, स्टाइलिश लुक ओर वाइब्रेंट एक्सेसरीज के साथ अपने वार्डरोब को अपडेट करें।
ये डर कहीं एब्लूटोफोबिया तो नहीं !
सर्दी के मोसम में बच्चे पानी को देखते ही भागने लगते हैं। ऐसे में उन्हें नहलाना आसान काम नहीं है। लेकिन अगर वे हर मौसम में ऐसा करते हैं तो यह एब्लूटोफोबिया' हो सकता है।
किचन का भी एक सिस्टम है
कई घरों में छोटा होने के कारण किचन हमेशा अव्यवस्थित दिखता है। इससे किचन में जाने का मन नहीं करता और समय पर चीजें भी नहीं मिलती हैं। ऐसे में क्या करती हैं आप?
क्या कहता है बालों का नया ट्रेंड
साल नया है, तो आपको अपने लुक और हेयर स्टाइल को भी बदल लेना चाहिए। इस समय कई ऐसे विंटर हेयर स्टाइल ट्रेंड में हैं, जो आपको सबसे खास और आकर्षक लुक दे सकते हैं।
उसका रुखा स्वभाव
अगर आपका बच्चा जरुरत से ज्यादा आक्रामक हो रहा है तो आपको उसके व्यवहार पर खास ध्यान देने की जरुरत है।
मॉर्निंग वॉक से सुधरेगी रिश्ते की सेहत
सुबह ताजगी से भरी होती है। जानकार कहते हैं कि मॉर्निंग वॉक से सिर्फ सेहत ही अच्छी नहीं रहती, बल्कि अगर कोई अनबन है तो सुबह की सैर आपके रिश्ते की सेहत को भी सुधार सकती है।