नाक में नथ और कान में कर्णफूल पहनने से इन पर पड़ने वाला दबाव एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर पॉईंट की भांति कार्य करते हैं।
आकाश के नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति के अनुसार व्रत-पर्व और त्योहारों का धरती के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने जनमानस को समय-समय पर इन उत्सवों में सम्मिलित होने का विधान बनाया है, ताकि मनुष्य जीवन और घर-परिवार में सुख-शांति का संचार हो सके। सावन में तीज के दिन जो महिलाएं विधि-विधान एवं नियमों का पालन करती हैं, उन्हें देवयोग से सौभाग्य की संजीवनी शक्ति प्राप्त होती है। सोलह शृंगार, सोलह संस्कार के साथ सोलह प्रकार के सुख माने गए हैं। मान्यताओं के अनुसार संस्कारवान स्त्री सोलह शृंगार से युक्त होने पर सोलह प्रकार के सुख प्राप्त करती है। भारतीय धर्मग्रंथों में बिना शृंगार के स्त्री को अधूरा माना गया है। सावन मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, हरियाली तीज के दिन जो विवाहित स्त्रियां सोलह शृंगार कर गृहलक्ष्मी का रूप धारण कर पूजन करती हैं, उनके यहां लक्ष्मी, ऋद्धि-सिद्धि के साथ निवास करती हैं।
■ दिव्य सुंदरता का उत्सव
सोलह शृंगार की प्रथा का प्रारंभ कामदेव और रति के काल से माना जाता है। कहा जाता है कि युवावस्था में रति रूपवती नहीं थीं, इसलिए दुखी रहती थीं। रति को कोई पसंद भी नहीं करता था, इसलिए उन्होंने देवी लक्ष्मी की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। तब देवी महालक्ष्मी ने रति को सोलह शृंगार का महत्व बताकर आशीर्वाद दिया और बताया कि जो भी स्त्री सोलह शृंगार से युक्त होकर सजेगी-संवरेगी, उसे सौभाग्य की प्राप्ति होगी। तभी से विवाह आदि उत्सव और तीज त्योहार पर प्रत्येक स्त्री सोलह शृंगार करती आ रही है। ऋग्वेद में वर्णन है कि सोलह शृंगार न केवल स्त्री को सौंदर्य प्रदान करता है, बल्कि उसके सौभाग्य को बढ़ाता है, इसलिए नई-नवेली दुल्हन और सुहागिन महिलाएं भाग्य वृद्धि के लिए तीज आदि सुअवसरों पर सोलह शृंगार करती हैं। सोलह शृंगार सौंदर्य बढ़ाने के साथ विभिन्न दोषों को भी दूर करता है, जिससे जीवन में संपन्नता आती है। प्रत्येक आभूषण, जिसे सोलह शृंगार में स्त्रियां धारण करती हैं, उसका विशिष्ट महत्व है।
This story is from the August 18, 2023 edition of Rupayan.
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छोटी चोटें बड़ा जोखिम
घर के ढेर सारे काम करने के दौरान आपको जख्म या चोट लग जाती है, जिसका इलाज आप घर पर खुद ही कर लेती हैं, लेकिन हमेशा ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है।
मायके से अनूठा प्रेम
“असल में वह कंवलजीत के मायके की तरफ से आया था, इसलिए मुझसे नहीं रहा गया”, कहते हुए उनकी आंखों से कंवलजीत के लिए स्नेह उमड़ आया था।
पत्ते-पत्ते में सहित
स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी है पोष्टिक आहार का सेवन। ठंड का मौसम विशेष रूप से गलत त से पोषक तत्वों के सेवन के लिए उपयुक्त होता है, जो आपको हरी पत्तेदार सब्नियों के साथ-साथ अन्य सब्जियों के पत्तों से भी मिल सकता है।
उफ ! ये डैंड्रफ और हेयर फॉल
ठंडी हवाएं त्वचा की नमी को छीनती हैं और स्कैल्प को रुखा बना देती हैं। नतीजा, डैंड्रफ ओर बालों का झड़ना। लेकिन ऐसा क्यों होता है, आपने कभी जानने की कोशिश की?
नए साल में कुछ नया, कुछ पुराना
नए साल में नया फैशन आजमाएं ओर खुद को ताजगी से भरें ट्रेंडिंग रंगों, स्टाइलिश लुक ओर वाइब्रेंट एक्सेसरीज के साथ अपने वार्डरोब को अपडेट करें।
ये डर कहीं एब्लूटोफोबिया तो नहीं !
सर्दी के मोसम में बच्चे पानी को देखते ही भागने लगते हैं। ऐसे में उन्हें नहलाना आसान काम नहीं है। लेकिन अगर वे हर मौसम में ऐसा करते हैं तो यह एब्लूटोफोबिया' हो सकता है।
किचन का भी एक सिस्टम है
कई घरों में छोटा होने के कारण किचन हमेशा अव्यवस्थित दिखता है। इससे किचन में जाने का मन नहीं करता और समय पर चीजें भी नहीं मिलती हैं। ऐसे में क्या करती हैं आप?
क्या कहता है बालों का नया ट्रेंड
साल नया है, तो आपको अपने लुक और हेयर स्टाइल को भी बदल लेना चाहिए। इस समय कई ऐसे विंटर हेयर स्टाइल ट्रेंड में हैं, जो आपको सबसे खास और आकर्षक लुक दे सकते हैं।
उसका रुखा स्वभाव
अगर आपका बच्चा जरुरत से ज्यादा आक्रामक हो रहा है तो आपको उसके व्यवहार पर खास ध्यान देने की जरुरत है।
मॉर्निंग वॉक से सुधरेगी रिश्ते की सेहत
सुबह ताजगी से भरी होती है। जानकार कहते हैं कि मॉर्निंग वॉक से सिर्फ सेहत ही अच्छी नहीं रहती, बल्कि अगर कोई अनबन है तो सुबह की सैर आपके रिश्ते की सेहत को भी सुधार सकती है।