सुबह-सुबह अमूमन हर घर में एक रेस सी लगी रहती है। बच्चों को स्कूल भेजना, फिर खुद के और पति के लिए लंच बॉक्स पैक करना। ये सब आप जल्दी-जल्दी निपटा कर ऑफिस के लिए निकल गईं। रास्ते में जाते हुए 'आज रात में क्या बनाऊ' सोचकर आप सोशल मीडिया पर सर्च करती हैं और आपको स्क्रीन पर कई यूट्यूब चैनल अपनी रेसिपीज शेयर करते दिखने लगते हैं। स्क्रीन पर मिनटों में बनती इन रेसिपीज को देख आप सोचती हैं कि आज तो घर जाकर इसे जरूर ही बना लूंगी। लेकिन क्या सच में ऐसा हो पाता है? शायद नहीं!
आज जीवन दिनों-दिन फास्ट होता जा रहा है, जहां सुबह हड़बड़ी में काम पर निकलना और देर शाम वापस आना रूटीन बन गया है। वापस आकर अगर आप कुछ अच्छा बनाने के बारे में सोचती भी हैं तो आपकी यह सोच और व्यस्तता, दोनों का साथ बेमेल-सा दिखाई पड़ता है, क्योंकि सुबह तैयार होने और घर के बाकी कामों को करते-करते आपके पास समय ही नहीं बच पाता और शाम को वापस आने के बाद थकान आपको कुछ विशेष बनाने की इजाजत ही नहीं देती।
इसका नतीजा यह होता है कि आप मन मार कर या तो कुछ अटपटा-सा मंगवा लेती हैं या फिर 'कुछ भी' खाकर अपनी भूख मिटा लेती हैं। लेकिन इन सबके बीच अगर कोई चीज सबसे ज्यादा खोई हुई महसूस होती है तो वह है आपका स्वास्थ्य, जो कि कम पोषक तत्व मिलने और जंक फूड खाते चले जाने के कारण बिगड़ जाता है। लेकिन कहते हैं कि 'जहां चाह, वहां राह।' शायद आज की इन परिस्थितियों को देखते हुए ही 'वन पॉट कुकिंग' की ईजाद हुई होगी। हमारे देश में वर्षों से बनती चली आ रही 'खिचड़ी' इसी अवधारणा का ही तो एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसे आमतौर पर एक ही पतीले में तैयार किया जाता रहा है। वन पॉट कुकिंग कॉन्सेप्ट में भोजन तुरंत, सरलता से और एक ही बरतन में तैयार किया जाता है। इसके पीछे 'धोने के लिए कम बरतन' का कॉन्सेप्ट विशेष रूप से काम करता है।
एक समय था, जब वन-पॉट कुकिंग कुंवारे लोगों, कैंपर्स और घर से दूर रह रहे छात्रों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि छात्रों को स्वाद से ज्यादा सुविधा और स्वास्थ्य की जरूरत होती है। लेकिन आज इस अवधारणा को स्वाद, सेहत और सुविधा से जोड़ दिया गया है। ये तीनों 'स' मिलकर इसे एक संपूर्ण पाक विधा का रूप देते हैं, जिसकी वजह से यह आज तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है।
This story is from the May 24, 2024 edition of Rupayan.
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छोटी चोटें बड़ा जोखिम
घर के ढेर सारे काम करने के दौरान आपको जख्म या चोट लग जाती है, जिसका इलाज आप घर पर खुद ही कर लेती हैं, लेकिन हमेशा ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है।
मायके से अनूठा प्रेम
“असल में वह कंवलजीत के मायके की तरफ से आया था, इसलिए मुझसे नहीं रहा गया”, कहते हुए उनकी आंखों से कंवलजीत के लिए स्नेह उमड़ आया था।
पत्ते-पत्ते में सहित
स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी है पोष्टिक आहार का सेवन। ठंड का मौसम विशेष रूप से गलत त से पोषक तत्वों के सेवन के लिए उपयुक्त होता है, जो आपको हरी पत्तेदार सब्नियों के साथ-साथ अन्य सब्जियों के पत्तों से भी मिल सकता है।
उफ ! ये डैंड्रफ और हेयर फॉल
ठंडी हवाएं त्वचा की नमी को छीनती हैं और स्कैल्प को रुखा बना देती हैं। नतीजा, डैंड्रफ ओर बालों का झड़ना। लेकिन ऐसा क्यों होता है, आपने कभी जानने की कोशिश की?
नए साल में कुछ नया, कुछ पुराना
नए साल में नया फैशन आजमाएं ओर खुद को ताजगी से भरें ट्रेंडिंग रंगों, स्टाइलिश लुक ओर वाइब्रेंट एक्सेसरीज के साथ अपने वार्डरोब को अपडेट करें।
ये डर कहीं एब्लूटोफोबिया तो नहीं !
सर्दी के मोसम में बच्चे पानी को देखते ही भागने लगते हैं। ऐसे में उन्हें नहलाना आसान काम नहीं है। लेकिन अगर वे हर मौसम में ऐसा करते हैं तो यह एब्लूटोफोबिया' हो सकता है।
किचन का भी एक सिस्टम है
कई घरों में छोटा होने के कारण किचन हमेशा अव्यवस्थित दिखता है। इससे किचन में जाने का मन नहीं करता और समय पर चीजें भी नहीं मिलती हैं। ऐसे में क्या करती हैं आप?
क्या कहता है बालों का नया ट्रेंड
साल नया है, तो आपको अपने लुक और हेयर स्टाइल को भी बदल लेना चाहिए। इस समय कई ऐसे विंटर हेयर स्टाइल ट्रेंड में हैं, जो आपको सबसे खास और आकर्षक लुक दे सकते हैं।
उसका रुखा स्वभाव
अगर आपका बच्चा जरुरत से ज्यादा आक्रामक हो रहा है तो आपको उसके व्यवहार पर खास ध्यान देने की जरुरत है।
मॉर्निंग वॉक से सुधरेगी रिश्ते की सेहत
सुबह ताजगी से भरी होती है। जानकार कहते हैं कि मॉर्निंग वॉक से सिर्फ सेहत ही अच्छी नहीं रहती, बल्कि अगर कोई अनबन है तो सुबह की सैर आपके रिश्ते की सेहत को भी सुधार सकती है।