जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
Rupayan|September 13, 2024
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज

पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। दरअसल, ब्राह्मण के रूप में पितृपक्ष में दिए हुए दान पुण्य का फल दिवंगत पितरों की आत्मा की तुष्टि के लिए होता है । ब्राह्मण भोज के माध्यम से पितृजन को प्रसन्न किया जाता है। लेकिन अपात्र ब्राह्मण को कभी भी श्राद्ध करने के लिए आमंत्रित नहीं करना चाहिए, ऐसा मनुस्मृति में कहा गया है। धन और समय के अभाव में यदि ब्राह्मण भोजन न करा सकें, तो भोजन का सामान ब्राह्मण को भेंट करने से भी संकल्प हो जाता है। लेकिन इन सबमें शुद्धता के साथ-साथ श्रद्धा का भाव भी जरूरी है। गरीब व्यक्ति जल में काले तिल डालकर तर्पण करें। विद्वान ब्राह्मण को काले तिल की एक मुट्ठी दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा संभव न हो, तो पितरों को याद कर गाय को चारा खिला दें।

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This story is from the September 13, 2024 edition of Rupayan.

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