किटी पार्टी के लिए पूनम के घर पहुंचने में प्रतिभा जी को देर हो गयी थी । वे खुले दरवाजे से अंदर प्रवेश करने ही वाली थीं कि अंदर चल रहे संवाद में अपने नाम का उल्लेख कि सुन चौंक उठीं। अरे, यह तो नीलू का स्वर लगता है ! किटी क्लब की कम उम्र सदस्याओं में से एक ! आवाज से काफी आक्रामक मूड में नजर आ रही थी।
“मैं प्रतिभा जी का बहुत सम्मान करती थी । ना केवल इसलिए कि वे एक अनुभवी और लब्धप्रतिष्ठित लेखिका हैं, वरन इसलिए भी कि मुझसे उम्र में भी काफी बड़ी हैं। लेकिन पिछले सप्ताह मैंने उनके घर में जो कुछ देखा, मेरी उनके प्रति धारणा पूरी तरह बदल चुकी है। अब मैं चाह कर भी उन्हें वह सम्मान नहीं दे पाऊंगी, जो अब तक देती आयी हूं।"
"अच्छा, ऐसा क्या हो गया था पिछले सप्ताह?" पूनम, जो पिछले सप्ताह अनुपस्थित थी, एकदम चिहुंक कर पूछ बैठी।
“पिछले सप्ताह चांदनी के यहां किटी पार्टी थी । प्रतिभा जी उस पार्टी में नहीं थीं। हम सभी को मालूम ही है कि उनकी सास को ब्रेन कैंसर हो गया है और वे इलाज के लिए यहां आयी हुई हैं। हम सबने निश्चय किया कि पार्टी समाप्त होने पर हम सब प्रतिभा जी के यहां उनकी सास की तबियत पूछने जाएंगे। और हम गए भी। पर वहां हमें प्रतिभा जी का जो रूप देखने को मिला उसकी तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। हमारी बैठकों में वे स्त्री सम्मान, नारी जागृति की कितनी बातें करती हैं और वह भी कितने मुखर स्वर में ! स्त्री को किसी से दबने की आवश्यकता नहीं है ना घर में और ना बाहर।"
"हां बिलकुल ! मैं भी उनकी इस बात से सहमत हूं," चांदनी ने सहमति में गरदन हिलायी।
प्रतिभा जी उत्सुकता से कान लगाए खड़ी थीं। जानती थीं कि उनके अंदर प्रवेश करते ही इस वार्ता को पूर्णविराम लग जाएगा । और वे यह जानने से वंचित रह जाएंगी कि उनके प्रति उनकी साथी सदस्याएं क्या विचार रखती हैं? इसलिए वे दम साध कर वहीं ओट में हो गयी थीं। नीलू का और भी मुखर स्वर उनके कानों में पड़ा।
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