कहते हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। जिंदादिली, खुशमिजाजी हमें ना सिर्फ बढ़िया लाइफस्टाइल देती है, इससे हमारी बॉडी भी रोगों से कोसों दूर रहती है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हो पाता है? भले ही आज हम कोविड को मन की मुसीबतों के लिए दोषी ठहराएं, पर इससे पहले भी हमारा मन तमाम तरह की मुश्किलों, उलझनों में फंस कर हमारी लाइफ को प्रभावित करता रहा है। मन की परेशानियां ना सिर्फ जीना दुश्वार कर देती हैं, हमारा शरीर भी कई तरह की बीमारियों से घिर जाता है। अक्तूबर की 10 तारीख को दुनियाभर में मेंटल हेल्थ डे के तौर पर मनाया जाता है, ताकि इसके प्रति जागरूकता फैले। हमने बात की मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र के कुछ सीनियर एक्सपर्ट्स से और जानने की कोशिश की कि हमारा मन उलझनों में क्यों घिरता है और किस तरह हम मन से जुड़ी दिक्कतों से दूर रह सकते हैं। क्या कहते हैं मन के डॉक्टर्स -
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चिल्ड्रंस डे कुछ सवाल
अगर आज हम अपने बच्चों को बेहतर वर्तमान देने की हैसियत रखते हैं तो कल | हम देश के बेहतर भविष्य की गारंटी दे सकते हैं। चिल्ड्रंस डे पर दो अहम मुद्दे, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। ये दोनों बातें बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन्हें समझने की जरूरत है।
मैरिज रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी
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क्या है ऑफिस पीकॉकिंग
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बॉडी पर होने वाले हाइपोट्रॉपिक निशानों या केलॉइड्स को कम कर सकता है स्कार टेप।
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शादी में बचत
वेडिंग इंडस्ट्री इस साल आने वाले 2 महीनों में 35 लाख शादियों के साथ 4.25 लाख करोड़ रुपए के खर्च की तरफ बढ़ रही है।