"अकेले घूमना हमें जिम्मेदार बनाता है और लाइफ मैनेजमेंट सिखाता है।" - शालिनी, सोलो ट्रेवलर, छत्तीसगढ़
फैमिली के साथ छुट्टियां बिताना हम सभी को अच्छा लगता है। बच्चों का खिलखिलाना दिखता है, पति का साथ मिलता है और अगर दोस्त व रिश्तेदार भी साथ हों, तो खूब मौज-मस्ती होती है। पर क्या कभी आपने सोचा है कि इतना सब होने के बाद क्या आपका मन-मस्तिष्क सच में रिलैक्स महसूस करता है। नहीं ना, क्योंकि छुट्टी में भी आप कई लोगों से घिरे हुए, सबकी पसंद-नापसंद का ध्यान रखते हुए समय बिता रहे थे। वे सब चीजें, जो हम किताबों में या किसी यायावर के ब्लॉग में पढ़ते हैं, वो कुदरत के आगोश में समाना, हसीं वादियों से नैना लड़ाना, बादलों का ऊंची पहाड़ियों के साथ आंखमिचौनी का खेल देखना, समंदर की अठखेलियां, किसी हेरिटेज साइट में जा कर इतिहास खंगालना ये सब अगर करना है, तो एक बार सिर्फ एक बार बैकपैक ले कर अकेली ही निकल जाइए। जी हां, हम बात कर रहे हैं सोलो ट्रेवलिंग की, जो आजकल युवा महिलाओं का प्रिय शगल बन चुकी है। 32 वर्षीय राखी की अरेंज्ड मैरिज होनेवाली थी। शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। लेकिन इन सबके बीच वह कुछ दिन के लिए सोलो ट्रिप पर सोलन चली गयी। उसका कहना था कि "मेरी लाइफ में इतना बड़ा बदलाव होनेवाला है। शादी के बाद पता नहीं मेरा पार्टनर मुझे कितना स्पेस देगा, मैं यह भी नहीं जानती कि मैं अपने लिए कितना वक्त निकाल पाऊंगी। इसलिए मैं सिर्फ एक बार अपने साथ कुछ फुरसत के पल बिताना चाहती थी। और अगर सच कहूं, तो शादी से पहले मैं कुछ एडवेंचरस करना चाहती थी।"
बढ़ रहा है क्रेज
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin June 2023 sayısından alınmıştır.
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