इन दिनों यंग कपल्स के बीच तीन तरह के झगड़े बेहद आम हैं — डेली, वीकेंड और मंथली फाइट्स। रोज के झगड़े कई मुद्दों पर होते हैं, वहीं वीकेंड फाइट्स इन कपल्स में बहुत कॉमन है। ये कपल्स ज्यादातर इंडिपेंडेंट होते हैं। अगर कोई एक डिपेंडेंट है भी, तो उनको अपने साथी की ओर से क्रेडिट या डेबिट कार्ड मिला होता है, जो उन्हें आत्मनिर्भरता का अहसास कराता है। सारा झगड़ा मुख्य रूप से पैसों के खर्च को ले कर ही होता है।
डेली फाइट्स
इसकी सबसे बड़ी वजह इंपल्सिव शॉपिंग यानी अनापशनाप खर्च करना है। इन कपल्स के दिमाग पर प्लास्टिक मनी की पावर हावी है। कार्ड स्वाइप किया और मनी ट्रांसफर हो गयी। दिमाग में यह भर चुका है कि पैसा खर्च करने की ही चीज है। पैसे को ले कर कोई पैशन या फीलिंग नहीं है। इसी वजह से जो पसंद आया खरीद लिया, जरूरत बाद में देखी जाती है। महिलाओं पर इंपल्सिव शॉपिंग का इल्जाम तो हमेशा से रहा है, पर अब महिलाएं भी शिकायत कर रही हैं कि हसबैंड फिजूलखर्च हैं। खर्च करने का कोई बजट तय नहीं होता। यह एक इंस्टेंट वजह है आरोप-प्रत्यारोप की। इंपल्सिव शॉपिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों होती है। यहां बात फैंसी शॉपिंग की हो रही है। मॉल्स में जा कर दोनों को जो पसंद आ जाए खरीदने को लालायित हो जाते हैं।
कार्ड इस्तेमाल करते समय यह खयाल नहीं रहता कि कार्ड किसका है, पैसा कहां से आ रहा है। बाजार इन्हें बहुत अच्छी तरह लुभाने में कामयाब रहता है और ये कपल बहाव में बहते चले जाते हैं।
कई एक जैसे सामान खरीद लिए जाते हैं। कई फीमेल क्लाइंट्स ने मुझसे शेअर किया कि मॉल से लौटते हुए सबसे पहला गिल्ट मन में पैदा होता है कि बहुत पैसे खर्च कर दिए। इसके तुरंत बाद वे अपनी फिजूलखर्ची को तरह-तरह से जस्टिफाई करने लगते हैं कि तुमने भी तो खरीदा था, मैंने खरीदा तो क्या हुआ! इस तरह वे खुद को झगड़े के लिए तैयार करती हुई घर पहुंचती हैं। यह ताना पेश आएगा कि तुम फिर पैसा उड़ा आयीं। बात तू-तू मैं-मैं में जा कर खत्म हो जाती है। वे अकसर हसबैंड की जानकारी के बिना सामान ऑनलाइन ऑर्डर कर देती हैं।
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