दीवाली ऑन ड्यूटी
Vanitha Hindi|November 2023
रोशनी और उल्लास से भरे त्योहार दीवाली मनाने का जो मजा परिवार के साथ आता है, वह कहीं और नहीं। लेकिन कुछ लोगों को यह मौका उनकी जॉब के कारण नहीं मिल पाता। मिलते हैं ऐसे ही कुछ डॉक्टर, फायर फाइटर, पुलिस ऑफिसर, लेडी बस ड्राइवर व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से, जिन्होंने काम की जगह पर ना सिर्फ दीवाली मनायी, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित किया -
दीवाली ऑन ड्यूटी

विभागाध्यक्ष की मौजूदगी से प्रेरणा मिलती है

डॉ. एसपी बजाज सीनियर डॉक्टर, दिल्ली

दीवाली बिना पटाखे-फुलझड़ियां कैसी, लेकिन यही पटाखे कई बार गंभीर दुर्घटनाओं का कारण भी बन जाते हैं, जब इन्हें चलाने में लापरवाही की जाए। डॉ. एसपी बजाज ने सालों तक दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में बड़ी जिम्मेदारी संभाली है। दीवाली के अवसर पर जिस तरह उन्होंने अपने स्टाफ को मोटिवेट किया और मरीजों की देखभाल का अनूठा सिस्टम इंट्रोड्यूस किया, वह काबिलेतारीफ है। वे बताते हैं, "मैंने ड्यूटी पर दीवाली मनाने का प्रोसेस 2 जगहों पर किया, सफदरगंज अस्पताल और आरएमएल अस्पताल में दोनों जगहों पर मैं बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में हेड ऑफ द डिपार्टमेंट था। सफदरगंज अस्पताल में 1982 से 1987 तक और फिर 1996 से 2002 तक और आरएमएल अस्पताल में 1987 से 1996 तक रहा। उन दिनों दीवाली के दिन फायर क्रैकर की वजह से अस्पताल में शाम 6 बजे से रात के 2 बजे तक 150 से 250 लोग पटाखों से जल कर आते थे। अस्पताल में पहुंचनेवाले मरीजों की संख्या इतनी अधिक होती थी कि उन्हें संभालना मुश्किल होता था। जब मैंने लंदन से लौट कर यहां 1982 में अस्पताल जॉइन किया, तब से कभी भी दीपाली अपने घर में नहीं मनायी। पहले रात के समय केवल जूनियर डॉक्टर्स ही अस्पताल में होते थे। सारे स्टाफ को मोटिवेशन मिले, इसके लिए मैंने उनसे कहा कि काम तो आप लोग ही करोगे, लेकिन मैं भी व्यक्तिगत रूप से दीवाली की रात अस्पताल में सुपरवाइज करने के लिए मौजूद रहूंगा। दरअसल, पटाखों से जलने के अलावा दूसरे पेशेंट्स भी आते थे। हमारा मकसद था मरीजों को अटेंड करना, उनके परिजनों को संभालना और उनके उपचार के शुरू होने में जरा भी देरी ना होने देना।

This story is from the November 2023 edition of Vanitha Hindi.

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