जीवन हमेशा से चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन यही चुनौतियां हमें निखारती भी हैं। हर साल कुछ नयी चुनौतियां हमारे सामने आती हैं, जो कभी हमें परेशान करती हैं, तो कभी हमें खरे सोने सा निखार देती हैं। जो व्यक्ति उन चुनौतियों से जूझ कर अपना मार्ग प्रशस्त करते हैं, वही सफल होते हैं। पिछले कुछ सालों से हमारे सामने नयी किस्म की चुनौतियों ने हमें हैरान-परेशान कर रखा था, लेकिन अब वक्त है संभलने का, कुछ अच्छा सोचने और करने का। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले कर इतना सताया कि पूछिए मत। मानवीय इतिहास में इससे बड़ी त्रासदी दूसरी नहीं। लेकिन मेडिकल साइंस के प्रयासों की बदौलत और जागरूक रह कर हमने इस पर विजय पायी। हालांकि अभी भी सेहत से जुड़ी नयी-नयी समस्याएं सिर उठा रही हैं, जिनसे निबटने की चुनौती हमारे सामने है। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज बंद रहे, तो बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा। उनके सामने कैरिअर की चुनौती भी उभरी है। तकनीक ने एक ओर जहां हमारा जीवन आसान किया है, वहीं इसने कई मुश्किलें भी खड़ी की हैं। आज पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। पेरेंटिंग को ले कर हम पशोपेश में हैं कि क्या करें, क्या ना करें। इन दिनों वैवाहिक रिश्ता भी नयी चुनौतियों की जद में है, जिससे समझदारी से संभालना बेहद जरूरी है।
स्वस्थ शरी सभी सुखों का आधार
सेहतमंद रहने से बड़ा सुख दूसरा नहीं। लेकिन जब पूरी फिजां ही अस्वास्थ्यकारी हो, तो अपनी सेहत को फिट बनाए रखना बड़ी चुनौती है। उस पर आधुनिक जीवनशैली ने सोना-जागना, खानापीना सब कुछ अनियमित कर दिया है। इस साल हमें सेहत से जुड़ी किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और हम कैसे उससे निबट सकते हैं, बता रहे हैं इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के मेडिकल डीन प्रो. डॉ. यतीश अग्रवाल।
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