लेडी ऑफ लैंप फ्लोरेंस नाइटिंगेल की स्मृति में हर वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज डे और सीएफएस यानी क्रोनिक फटीग सिंड्रोम अवेअरनेस डे मनाया जाता है। वर्ष 1820 में 12 मई को जन्मी थीं फ्लोरेंस नाइटिंगेल। माना जाता है कि लंबे समय तक वह सीएफएस से जूझती रही थीं। फ्लोरेंस की डायरी के हवाले से बताया जाता है कि वे कई साल क्रोनिक पेन, फटीग और मेंटल फॉगीनेस या क्लाउडीनेस से जूझती रहीं। हालांकि अपनी शारीरिक-मानसिक समस्याओं के बावजूद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों में कोई कमी नहीं आने दी और नर्सिंग की दुनिया में ऐसा मुकाम हासिल किया, जो आज भी एक मिसाल है। बताया जाता है कि क्रीमिया वॉर के बाद ब्रिटिश बेस हॉस्पिटल में काम करते हुए वे किसी बैक्टीरियल इंफेक्शन की चपेट में आयीं, जिसने उन्हें पूरी तरह तोड़ कर रख दिया। इसे क्रीमियन फीवर कहा गया। इसके प्रभाव से वे ताउम्र पूरी तरह नहीं निकल सकीं। बाद के वर्षों में उन्हें क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हुआ, हालांकि वे लगभग 90 वर्षों तक जीवित रहीं।
कारण बहुत स्पष्ट नहीं
अध्ययन व शोधों के बावजूद अभी तक सीएफएस के कोई स्पष्ट कारण परिभाषित नहीं हो सके हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि यह समस्या आनुवंशिक हो सकती है या खास वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी ऐसा संभव है। कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सर्जरी, ट्रॉमा, शारीरिक-भावनात्मक दबाव के कारण भी ऐसा हो सकता है। हाल-फिलहाल की बात करें तो लगभग 2 वर्षों के पेनडेमिक को झेलने के बाद क्रोनिक फटीग सिंड्रोम के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ। कुछ पेशेंट्स में इम्यून व नर्वस सिस्टम में असामान्यता के अलावा मेटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसी समस्या भी देखने को मिली। हारमोनल बदलाव भी इसका एक कारण है।
सीएफएस के लक्षण
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