रेंद्र कोहली की अंतिम कृति है 'सागलकोट'। इसका न प्रकाशन हिन्द पॉकेट बुक्स ने किया है। यह एक संस्मरण है जिसमें कोहली जी ने विभाजन की त्रासदी का वर्णन किया है। यह पुस्तक भारत और पाकिस्तान के बँटवारे का एक खास दस्तावेज है। जिस तरह के दृश्यों को प्रस्तुत किया गया है, उससे पुस्तक में अलग रंग भर गया है।
This story is from the March 2023 edition of Samay Patrika.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the March 2023 edition of Samay Patrika.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
अच्छा और उन्नत जीवन जीने के सीक्रेट्स
व्यायाम, पोषण, नींद, मानसिक शांति और सामाजिक संपर्क जैसे विषयों को कवर करते हुए, पुस्तक हर पहलू से स्वास्थ्य को संबोधित करती है.
डॉ. कलाम के साथ बिताए 20 वर्षों की अनकही कहानी
यह पुस्तक उन पलों को सामने लाती है, जब कलाम ने निराशाजनक परिस्थितियों में भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.
धन-निर्माण और वित्तीय सफलता के लिए मौलिक सिद्धांत एवं रणनीतियाँ
यह पुस्तक पाठकों को वित्तीय सफलता की ओर मार्गदर्शन देने के लिए लिखी गई है।
पर्सी जैक्सन की रहस्य और रोमांच से भरी दुनिया
पर्सी जैक्सन एक ऐसा लड़का है जिसे पढ़ाई में ध्यान लगाने और अपने गुस्से पर काबू करने में कठिनाई होती है।
द सेकेंड सेक्स
दसेकेंड सेक्स' ने एक ऐसे विमर्श की शुरुआत की है जो जीव-विज्ञान, मनोविश्लेषण और ऐतिहासिक भौतिकवाद की नज़र से औरतों पर लिए गए दृष्टिकोण को खंगालता है।
सत्य और असत्य के बीच का संघर्ष हर युग का सत्य है
महाभारत धर्म, अधर्म, सत्य और असत्य का महान आख्यान है, जिसमें प्रत्येक चरित्र अपनी विशेषताओं और अपने-अपने सच को लेकर उपस्थित है।
मृत्यु के नए अर्थ की ओर ले जाने वाली किताब
इस पुस्तक के पन्नों के बीच, जीवन और मृत्यु के बीच की रेखा इतनी धुँधली हो जाती है कि पाठक खुद को मृत्यु को एक नए नजरिए से स्वीकार करते हुए पाते हैं
"जीवों की पीड़ा से उनका मन व्यथित हो जाता था”
श्री टाटा बाहर नहीं जा सकते थे।
...अब सफर करता हूँ तो सिर्फ जिस्म शहरों को नापता है'
आसमानी, 'क्षितिज' समझती हैं? हमारी दृष्टि का आख़िरी छोर होता है क्षितिज।
जीवन में संतुलन और स्वतंत्रता के लिए जरूरी है 'न कहने की कला'
नकहने की कला' पुस्तक हमें सिखाती है कि अपनी ज़िंदगी में 'न' कहना कितना ज़रूरी हो सकता है। इसमें बताया गया है कि 'न' कहना एक कला है जो हमें व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तर पर अपने हितों को आगे बढ़ाने में मदद करती है।