सरसों रबी सीजन की फसल है, जब सरसों की फसल पीले फूलों से महकती है, तो इस की खूबसूरती बरबस ही हमें अपनी तरफ खींच लेती है.
देश में आज लघु एवं सीमांत श्रेणी के किसानों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. ऐसे में सरसों की अगेती खेती में फसल प्रबंधन बहुत जरूरी हो जाता है. इस फसल को बोने के लिए खेत का सितंबर माह तक खाली हो जाना जरूरी हो जाता है.
सरसों की अगेती खेती के लिए देश का वह हिस्सा, जहां अकसर बाढ़ या सूखा की समस्या होती है, वहां खरीफ की फसल नहीं हो पाती है. ऐसे में वहां सरसों की अगेती खेती कर के 2 फसलों का उत्पादन भी किया जा सकता है यानी किसान अगेती धान की खेती कर के सरसों की भी अगेती खेती कर सकते हैं, जिसे क्रौप इंटैंसी कहा जाता है.
इस विधि से खेती करने में बाढ़ व सूखाग्रस्त क्षेत्रों में फसल तीव्रता 200 फीसदी व सिचित क्षेत्रों में 300 फीसदी होती है यानी 2 फसलों के बीच फसल प्रवर्धन अपना कर हम एक अतिरिक्त फसल ले सकते हैं.
अगेती फसल से लाभ
सरसों की अगेती फसल लेने से जहां एक ओर हम 3 महीने में ही फसल की कटाई कर लेते हैं, वहीं समय से हम गेहूं की बोआई प्राप्त कर दोगुना लाभ ले सकते हैं. इस के अलावा किसान बाढ़, सूखा जैसी आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई कर पाने में सक्षम हो सकते हैं.
सरसों के ऊपर आधारित मधुमक्खीपालक सरसों की अगेती फसल अपना कर ज्यादा शहद उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
अगेती सरसों की बोआई के पहले किसानों को चाहिए कि वे खेत की जुताई रोटावेटर, कल्टीवेटर या हैरो से कर के मिट्टी को भुरभुरी बना लें. इस के बाद अगर गोबर की अन्य कोई कंपोस्ट खाद किसान के पास उपलब्ध हो, तो उसे मिट्टी में मिला देना सही होता है.
इस के लिए सरसों की उन्नतशील उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियों को, जो हमें राजकीय बीज भंडारों पर अनुदान पर सस्ते दरों पर उपलब्ध हो सकती हैं, का चयन करना चाहिए. अगर राजकीय बीज भंडारों पर बीज उपलब्ध न हो, तो किसी लाइसैंस प्राप्त प्राइवेट बीज भंडार से ही बीज खरीदना चाहिए. इस के एवज में रसीद जरूर प्राप्त करें, जिस से बीज की गुणवत्ता में कमी आने पर आप जरूर शिकायत कर के हर्जाना प्राप्त कर सकें.
उन्नतशील प्रजातियां
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.