दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा
Farm and Food|January First 2024
जब दुधारू पशुओं में उन की सेहत, कम लागत पर दूध देने की कूवत और गर्भधारण की समस्या पर बात होती है, तो इस का हल काफी हद तक पशुओं को दिए जाने वाले प्रतिदिन के खानपान पर निर्भर करता है, क्योंकि ये सभी समस्याएं भोजन से प्राप्त होने वाले पोषक तत्त्वों पर निर्भर करती हैं, इसीलिए पशुओं के भोजन में मोटे चारे के रूप में हरे चारे का होना बहुत ही जरूरी है.
डा. वीके सिंह, डा. अंगद प्रसाद, डा. हिमांशु राय, डा. चंदन सिंह
दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा

चारे में कैरोटीन, प्रोटीन, कैल्शियम व अन्य खनिज लवण और पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है. हरे चारे में अच्छी मात्रा में पानी की उपस्थिति के कारण चारा काफी स्वादिष्ठ, मुलायम और रसदार होता है व दूध पैदावार में बढ़ोतरी एवं गर्भधारण के लिए पशुओं को गरमी में लाने में मददगार होता है. पशुओं को दिया जाने वाला चारा 2 प्रकार का होता है :

बिना फलीदार हरा चारा

मक्का : यह चारा खरीफ की फसल में तैयार होता है. फूलते समय इन में पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं. यह बहुत ही स्वादिष्ठ व पाचक चारा है. इस की अच्छी उपज के लिए खाद की भी जरूरत पड़ती है. जून से जुलाई माह तक इस की बोआई होती है. ऐसी भूमि, जिस में पानी न रुकता हो, मक्का की उपज के लिए सर्वोत्तम है.

चारे के लिए पूसा पीली नंबर 2, मेरठी और केटी 44 नामक मक्के की किस्में काफी अच्छी हैं तकरीबन 2 माह में यह चारा तैयार हो जाता है. एक एकड़ भूमि से तकरीबन 90-110 क्विटल चारा मिलता है. इस से अच्छे किस्म की साइलेज भी बनती है.

जई : इस में प्रोटीन और दूसरे जरूरी पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में मौजूद रहते हैं. यह रबी की मुख्य चारा फसल है. प्रति एकड़ भूमि की बोआई के लिए तकरीबन 40 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बोआई के समय भूमि में काफी नमी होनी चाहिए. नमी की कमी होने पर खेत में पलेवा लगाना चाहिए. हरे चारे व दाने, दोनों का ही यह सर्वोत्तम स्त्रोत है. अक्तूबर से दिसंबर माह तक इस की बोआई होती है. प्रति एकड़ जई की अनुमानित उपज 150 क्विटल है. इस का प्रयोग सूखी घास बनाने के लिए भी होता है.

सेंजी : गन्ना और जूट बोए जाने वाले क्षेत्र का यह मुख्य चारा है. रबी के मौसम में इस की बोआई होती है. इस के लिए पानी की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. बोने के तकरीबन 2 महीने बाद इस की कटाई कर सकते है. एक एकड़ भूमि की बोआई के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. प्रति एकड़ इस की अनुमानित उपज तकरीबन 75 क्विटल है.

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