
इन दिनों में बीज बोने से बीज अंकुरित नहीं होता है, वहीं कुछ किसानों का यह भी मानना है कि इस दिन ग्राम देवता खेतों का भ्रमण करते हैं, जिस से बीज बोआई करने से उन के शरीर से बीज टकरा सकता है और ग्राम देवता को चोट लग सकती है. इस से ग्राम देवता नाराज हो जाते हैं, जिस के चलते फसल का उत्पादन सही नहीं होता है.
इस तरह के अंधविश्वास आज भी अनेक किसानों को घेरे हुए हैं. इस तरह के अनेक उदाहरण आप को जगहजगह देखने को मिल जाएंगे.
बसंत लाल बस्ती जिले के अच्छे किसानों में गिने जाते हैं. पिछले साल उन्होंने गेहूं फसल की कटाई के बाद फसल की मड़ाई का काम इसलिए नहीं किया, क्योंकि उस दिन बुधवार था और बुधवार के ही दिन 2 साल पहले उन के पिता की मौत हो गई थी. इस के चलते वे बुधवार के दिन को अशुभ मानते थे और उस दिन वे कोई ऐसा काम नहीं करते थे, जिस में उन्हें नुकसान होने का डर हो.
उन्होंने सोचा कि अगले दिन की सुबह यानी बृहस्पतिवार को वे काटी गई गेहूं की फसल की मड़ाई करेंगे, लेकिन बुधवार की रात में अचानक बादल छा जाने से भारी बारिश होने लगी.
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मुरगीपालन से आमदनी में इजाफा
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औषधीय फसल चंद्रशूर की उन्नत खेती
सेहत के लिहाज से फायदेमंद मानी जाने वाली कई फसलें खेती न किए जाने से विलुप्त होने के कगार पर हैं. इन में कुछ ऐसी फसलें हैं, जो न केवल अपने औषधीय गुणों के चलते खास पहचान रखती हैं, बल्कि इन में उपलब्ध पोषक गुण व्यावसयिक नजरिए से भी बेहद खास माने जाते हैं.

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