बहुत से पशुपालक आज भी पशुओं का दूध हाथों से ही दुहते हैं, खासकर जिन पशुपालकों के पास कम दुधारू पशु हैं, वे ऐसा ही करते हैं. यह हमारा परंपरागत तरीका है. लेकिन अब समय बदल रहा है, इसलिए अनेक पशुपालक अपने दुधारू पशुओं का दूध मशीनों से निकालने लगे हैं. दूध निकालने वाली इन मशीनों को मिल्किंग मशीन कहा जाता है.
मिल्किंग मशीन किसानों के लिए एक ऐसी खास मशीन है, जो घरेलू पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के लिए बहुत ही उपयोगी है. इस के इस्तेमाल से पशुओं से साफसुथरा दूध निकाला जाता है. इस में समय भी कम लगता है और पशु को भी सुविधा रहती है.
आज भी दूरदराज के इलाकों में बहुत से पशुपालक ऐसे हैं, जो मिल्किंग मशीन के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं. ये मशीनें बिजली, बैटरी आदि की मदद से चलती हैं. इन में इलैक्ट्रिक मीटर लगा होता है. दूध दुहने वाली मशीनों में चिकनाई वाले वैक्यूम पंप होते हैं, जो वैक्यूम पैदा करते हैं और दूध निकलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं, और फिर दूध निकलता हुआ स्टील की बालटियों में इकट्ठा होता जाता है.
यहां ऐसी ही एक कंपनी की मशीन के बारे में जानकारी दी गई है, जो पशुपालकों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है.
वैनसन मिल्किंग मशीन
वैनसन पशुओं का दूध दुहने की मशीन बनाने वाली कंपनी है, जो कि देश के अलगअलग राज्यों में और अनेक पशुपालन के क्षेत्र में काम कर रही है. हजारों पशुपालकों तक पहुंच बनाने वाली इस मिल्किंग मशीन में मौडर्न तकनीक इस्तेमाल की गई है.
मशीन से दूध दुहना प्राकृतिक दूध दुहने जैसा
मिल्किंग मशीन की खूबी है कि दूध दुह समय दुधारू पशु को ऐसा ही महसूस होता है जैसे कि उस का बछड़ा दूध पी रहा हो. इस से पशु को कोई परेशानी नहीं होती और वह आराम से दूध दुहने देती है.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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