फसलों द्वारा भूमि से लिए जाने वाले प्राथमिक मुख्य पोषक तत्त्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश में से नाइट्रोजन का सर्वाधिक अवशोषण होता है, क्योंकि इस तत्त्व की सब से अधिक आवश्यकता होती है.
इतना ही नहीं, भूमि में डाले गए नाइट्रोजन का 40-50 फीसदी ही फसल उपयोग कर पाते हैं और शेष 55-60 फीसदी भाग या तो पानी के साथ बह जाता है या वायुमंडल में डिनाइट्रीफिकेशन से मिल जाता है या जमीन में ही अस्थायी बंधक हो जाते हैं.
अन्य पोषक तत्त्वों की तुलना में भूमि में उपलब्ध नाइट्रोजन की मात्रा सब से न्यून स्तर की होती है. यदि प्रति किलोग्राम पोषक तत्त्व की कीमत की ओर ध्यान दें, तो नाइट्रोजन ही सब से अधिक कीमती है, इसलिए नाइट्रोजनधारी उर्वरक के एकएक दाने का उपयोग मितव्ययता एवं सावधानी से करना आज की अनिवार्य आवश्यकता हो गई है.
भारत जैसे विकासशील देश में नाइट्रोजन की इस बड़ी मात्रा की आपूर्ति केवल रासायनिक उर्वरकों से कर पाना छोटे और मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से परे है. इसलिए फसलों की नाइट्रोजन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पूरी तरह से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर रहना तर्कसंगत नहीं है.
वर्तमान परिस्थितियों में नाइट्रोजनधारी उर्वरकों के साथसाथ नाइट्रोजन के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि मिट्टी की उर्वराशक्ति को टिकाऊ अक्षुण्ण रखने के लिए भी आवश्यक है. ऐसी स्थिति में जैव उर्वरकों एवं सांद्रिय पदार्थो के एकीकृत उपयोग की नाइट्रोजन उर्वरक के रूप में करने की जरूरत है.
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
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धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
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