कुछ सालों से जलवायु परिवर्तन ने खेती पर सीधा असर डाला है. इस के चलते दुनियाभर में खाद्यान्न, फलफूल इत्यादि के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ रहा है. क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन का खेती पर पड़ रहे बुरे प्रभावों को कम करने के लिए दुनियाभर के कृषि वैज्ञानिक नित नए प्रयास और शोध कर रहे हैं.
कृषि वैज्ञानिक न केवल खेती में क्लाइमेट चेंज के प्रभाव को कम करने वाली उन्नत किस्मों को विकसित करने में लगे हैं, बल्कि कई ऐसे भी प्रयास जारी हैं, जो क्लाइमेट चेंज के चलते असमय बारिश, पाला, अत्यधिक गरमी के प्रभाव को कम कर खेती के कम उत्पादन लागत, कम मजदूर, कम पानी और कम उर्वरक से अधिक उत्पादन लिया जा सके.
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद किए गए कुछ ऐसे ही प्रयासों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी दिनों से वायरल हो रहा है, जिस में प्राकृतिक हवादार संरक्षित घर यानी नैचुरल वैंटीलेटर पौलीहाउस में 15 से 20 फुट के टमाटर के पौधों और उस की जड़ों के पास कई अन्य तरह की सब्जियों की फसलों को एकसाथ उगाने में सफलता पाई है.
इस वायरल वीडियो में जहां जड़ से ले कर आखिरी सिरे तक लाल टमाटर से लदे हुए पौधे दिखाई पड़ रहे हैं, वहीं जड़ों के पास काफी ज्यादा कीमत पर बिकने वाली विदेशी गोभी रोमनेस्को ब्रोकली, ब्रूसेल्स स्प्राउट्स, रंगीन गोभियों सहित कई तरह की सब्जियों को सफलतापूर्वक उगा हुआ देखा जा सकता है.
नैचुरल वैंटीलेटर पौलीहाउस में उगाए गए इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया और लिखा कि अगर छोटे और मझोले किसान कम जमीन से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैजिटेबल साइंस डिपार्टमैंट द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में संरक्षित और वर्टिकल फार्मिंग सफल मौडल का विजिट जरूर करें.
बांदा कृषि विश्वविद्यालय का संरक्षित खेती मौडल
बांदा कृषि विश्वविद्यालय के वैजिटेबल साइंस डिपार्टमेंट के हैड प्रोफैसर राजेश कुमार सिंह से विश्वविद्यालय परिसर में संरक्षित खेती के तहत टमाटर के साथ की जा रही अन्य सब्जियों की खेती के बारे में जानकारी ली.
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अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.