यदि किसी को मोटापा, दिल की बीमारी, ब्लड शुगर और पेट से जुड़ी समस्या है, तो कुंदरू का सेवन काफी फायदेमंद होता है. इसे कैंसर, किडनी स्टोन, नर्वस सिस्टम, डिप्रैशन, थकान, मधुमेह, पाचन को दुरुस्त रखने और वजन घटाने जैसी समस्याओ को दूर करने में लाभकारी माना गया है. कुंदरू कच्चा और सब्जी के रूप में हमारे शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है.
मधुमेह के नियंत्रण के लिए कुंदरू की जड़ों और पत्तियों के रस का इस्तेमाल किया जाता है. कुंदरू के फलों को कुष्ठ रोग. बुखार, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व पीलिया रोग के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है. इस की लता को सजावटी पौधे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.
कुंदरू की सब्जी खाने में बेहद लजीज होती है. इस के फलों को कच्चे सलाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस की उन्नत किस्मों की खेती कर के किसान अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
कुंदरू की खेती चिकनी मिट्टी को छोड़ कर किसी भी भूमि में आसानी से उगाई जा सकती है. इसे उचित जल निकास वाली जीवांशयुक्त रेतीली या दोमट भूमि को उत्तम माना जाता है. चूंकि इस की लता या पौधे पानी के जमाव को सहन नहीं कर पाते हैं, इसलिए कुंदरू के पौधों को ऐसे खेत में रोपें, जहां पानी जमान होता हो.
कुंदरू की खेती औसत वर्षा वाले सभी क्षेत्रो में आसानी से की जा सकती है. कुंदरू की लताओं को एक बार रोपने के बाद तकरीबन 4 सालों तक अच्छी फलत ली जा सकती है.
कुंदरू की उन्नत किस्में
थार सुंदरी: कुंदरू की इस किस्म के फल का रंग हलके या गहरे हरे रंग का होता है. औसत पैदावार 3 किलोग्राम से 4 किलोग्राम प्रति पौध होती है.
कुंदरू की उन्नत किस्मों को विकसित करने के लिए देश के शोध संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों में लगातार काम किया जा रहा है. इस के चलते बीते सालों में कुंदरू की कई उन्नत किस्मों को विकसित किए जाने में सफलता पाई गई है, जिस में से अधिक उत्पादन देने वाली किस्में निम्नलिखित हैं:
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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