यदि ओशो की मृत्यु की बात करें तो इस बात पर चर्चा करना बेइमानी सा लगता है क्योंकि बुद्धों की पहचान उनकी चेतना से होती है, उनके योगदान से होती है। उनके शरीर पर बात करना और वह भी उसके विदा हो जाने के बाद कोई अर्थ नहीं रखती। ओशो के संन्यासियों एवं प्रेमियों का यदि एक समूह ऐसा है जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ओशो की मृत्यु कैसे और क्यों हुई तो एक समूह एवं आम जनता इस बात को जानने में उत्सुक रहती है कि ओशो की मृत्यु कैसे हुई। अपने-अपने तल के अनुसार दोनों ही समूह अपनी जगह ठीक हैं। माना कि इस तफ्तीश से कुछ हासिल नहीं होने वाला, सत्य, सत्य रहेगा और जाने वाला कभी लौट कर नहीं आएगा परंतु जो लोग ओशो के साथ हृदय से जुड़े हैं या जिन्हें लगता है उनके गुरु के साथ गलत हुआ उनके लिए यह बात बहुत मायने रखती है। साथ ही वह आम जनता जो वजहबेवजह, आधी-अधूरी जानकारी के कारण गलतफहमियों का शिकार होती है और अपने अधूरे ज्ञान को आगे हस्तांतरित करती है उन सब के लिए बहुत जरूरी हो जाता है।
इससे पहले हम इस विषय से संबंधित अन्य संन्यासियों के विचारों को जानें प्रस्तुत है वह तथाकथित रिपोर्ट जिसने इस विषय को हवा दी। प्रसारित रिपोर्ट के अनुसार-
ओशो की मौत के 25 साल बाद डॉक्टर गोकाणी ने अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया है। उनका कहना है कि मौत के दिन दोपहर 1 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक ओशो के आश्रम में जो कुछ घटा वो रहस्यमयी था जिसके वो अहम गवाह हैं। 80 साल के डॉक्टर गोकाणी 19 जनवरी 1990 को पुणे के आश्रम में ही मौजूद थे जब आश्रम के लाओत्से हाउस के नए बेडरूम में ओशो ने देह का त्याग किया था।
डॉक्टर गोकाणी ने हलफनामे में कहा है कि 19 जनवरी 1990 के दिन दोपहर 1 बजे जब वो ओशो आश्रम के पास अपने घर में आराम कर रहे थे तब उन्हें आश्रम से ओशो के करीबी स्वामी जयेश उर्फ 'माइकल ओब्रायन' के निजी सचिव स्वामी चितिन लेने आए थे। चितिन ने कहा कि 'लेटरहेड के साथ अपनी इमरजेंसी मेडिकल बैग ले लीजिए।' आपको स्वामी जयेश ने बुलाया है।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।