![युवकों के लिए स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन युवकों के लिए स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन](https://cdn.magzter.com/Sadhana Path/1673243892/articles/ZLFxWkpWh1673428552484/1673428890041.jpg)
मानव जीवन के फैलाव का महत्त्वपूर्ण समय है युवावस्था व्यक्ति की कई शक्तियों, प्रतिभाओं, क्षमताओं का इस समय पूर्ण उठाना होता है।
युवकों में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक आदि परिवर्तन की अपार सामर्थ्य होती है। स्वामी विवेकानंद ने भारत की युवा शक्ति को बलवान चरित्रवान, कर्म निष्ठ बनाने के लिए देश भर में तेज पूर्ण ज्ञान दिए थे। वे विचार अब भी भारत के युवक-युवतियों के लिए अनुकरण है।
स्वामी जी के कुछ प्रेरक वचन निम्नांकित है-
"तोते के बराबर बातें करना हमारा अभ्यास हो गया है।
व्यवहार में हम बहुत पिछड़े हुए हैं। इसका कारण क्या है? शारीरिक दुर्बलता। कमजोर मस्तिष्क कुछ नहीं कर सकता।
हमको अपने मस्तिष्क को बलवान बनाना होगा- मैंने कुछ अनुभव प्राप्त किया है।
बलवान शरीर से अथवा खूब मजबूत स्नायुओं से तुम गीता को ज्यादा समझ सकोगे। शरीर में ताजा रक्त होने से तुम कृष्ण की महान प्रतिभा और महान तेजस्विता को अच्छी तरह समझ सकोगे।
जिस समय तुम्हारा शरीर तुम्हारे पैरों के बल मजबूत भाव से खड़ा होगा, जब तुम अपने को मनुष्य समझोगे, जब तुम उपनिषद और आत्मा की महिमा भली भांति समझोगे।"
"तुममें से प्रत्येक का भविष्य प्रकाशमान है। अपने आप पर गहरा दृढ़ विश्वास रखो। वैसा ही विश्वास, जैसे मैं बाल्यकाल में अपने ऊपर रखता था और जिसे मैं अब कार्यान्वित कर रहा हूं। तुम सभी अपने आप पर विश्वास रखो। यह विश्वास रखो कि प्रत्येक की आत्मा में असीम शक्ति विद्यमान है। - वेदों में कहा गया है। 'बलवान, निरोग, तेज धारण-शक्ति वाले और उत्साहयुक्त मनुष्य ही ईश्वर के पास पहुंच सकते हैं।" तुम्हारे भविष्य को निश्चित करने का यही समय है।
इसीलिए मैं कहता हूं कि अभी इस भरी जवानी में इस नए जोश के जमाने में ही कामकरो, जीर्ण-शीर्ण हो जाने पर काम नहीं होगा।
काम करो, क्योंकि काम करने का यही समय है। सबसे ज्यादा ताजे, बिना स्पर्श किए गए और बिना सूंघे फूल ही भगवान के चरणों पर चढ़ाएं जाते हैं और वे उन्हें स्वीकार करते हैं। अपने पैरों पर खड़े हो जाओ, देर न करो।"
"हर एक स्त्री को, हर एक पुरुष को और सभी को ईश्वर के ही बराबर देखो।
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![देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/176/1987985/gV-FyTk9x1739190779440/1739190952868.jpg)
देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग
विविधता में एकता वाले हमारे इस देश में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि यहां विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार मनाने के ढंग अलग होते हैं, पर सभी त्योहारों के पीछे उद्देश्य एक ही होता है अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना तथा हर्षोल्लास से एक साथ मिलकर अपनी खुशियों को बढ़ाना।
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बसंतोत्सव का महत्त्व
बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य हीं नहीं लाती बल्कि मनुष्य के मन में उमंग और हर्षोल्लास भी लाती है। ऋतुओं के राजा बसंत के साथ और क्या-क्या जुड़ा है ? जानिए इस लेख से।
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आदर्श प्रेम के प्रतीक देवी-देवता
यूं तो हर इंसान का प्रेम अपने आप में सम्पूर्ण व अनुकरणीय होता है परन्तु कुछ लोगों का प्रेम इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो जाता है। आइये नमन करें कुछ ऐसे ही प्रेम के प्रतीकों को।
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आपकी गृहस्थी में सेंध लगा सकती है ऐसी अपेक्षायें?
अपने पारिवारिक जीवन की चर्चा या कोई उलझन कभी किसी पुरुष सहयोगी के सामने बयां न करें अन्यथा वह सहानुभूति दर्शाकर सहयोग देने की पेशकश करेगा और अंततः आपके दुख, जो दुख न होकर सिर्फ क्षणिक क्रोध था, को हवा देगा।
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इन 5 घरेलू चीज़ों से सफर में होगा सेहत का साथ
कई लोगों को घूमने का शौक तो होता है, पर वह सफर में होने वाली मोशन, सिकनेस के डर से कहीं बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में परेशान होने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि आपके किचन में ही इनके समाधान मौजूद है।
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बसंत पंचमी से जुड़ी कथाएं और घटनाएं
विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी पवित्र हिन्दू त्योहार है। एक इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
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महिलाओं में कैंसर के सामान्य प्रकार
अभी तक ज्यादातर मामलों में कैंसर को आनुवंशिक माना गया था | नए अनुसंधानों में पता चला है कि कैंसर के कारण काफी हद तक अस्वस्थ जीवनशैली और असंतुलित आहार में होते हैं।
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अखरोट खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद भी होता है। आखिर अखरोट खाने के क्या हैं फ़ायदे, यह किस तरह से और किस समय खाना चाहिए, आइए जानें-
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इन स्वास्थ्यवर्धक टिप्स से बनाएं सफर सुहाना
सफर के दौरान खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सफर का लुत्फ तभी लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो।
![नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/176/1987985/-0nOoUj1E1739190651994/1739190760632.jpg)
नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी
प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।